COVID-19:ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह अनुमान लगाया है कि 2019 की अपेक्षा भारत में 2020 में 11 .9 लाख अतरिक्त मौत हुई। और यह आकड़ा 2019 की तुलना में 17% अधिक था. हालांकि भारत केंद्र नें ऑक्सफ़ोर्ड के आकड़ो को भ्रामक बताया हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें अध्ययन के आकलनों को भ्रामक बताया गया है. अध्ययन लेखकों के अनुसार 7.65 लाख से अधिक व्यक्तियों के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए, अध्ययन में भारत में 2019 और 2020 के बीच लैंगिक और सामाजिक समूह के आधार पर जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में बदलाव का अनुमान लगाया. अध्ययन के अनुसार भारत एक ऐसा देश जहां वैश्विक महामारी से होने वाली एक तिहाई अतिरिक्त मौतें हुई हैं.
आकड़े तब लिए गए, जब महामारी चरम पर थी
इस विश्लेषण में 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों पर आधारित अध्ययन को देश का प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं माना जा सकता। एक अन्य बड़ी खामी सम्मिलित नमूने में संभावित चयन और पूर्वाग्रह से संबंधित है क्योंकि ये आंकड़े उस समय एकत्रित किए गए थे जब कोविड-19 महामारी चरम पर थी।’
इसमें कहा गया कि भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) अत्यधिक मजबूत है और 99 प्रतिशत से अधिक मौतों को दर्ज करती है। इस प्रणाली के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 4.74 लाख की वृद्धि हुई। बयान में कहा गया कि 2018 और 2019 में मृत्यु पंजीकरण में क्रमश: पिछले वर्षों की तुलना में 4.86 लाख और 6.90 लाख की वृद्धि हुई थी.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शोधार्थी एवं लेखक आशीष गुप्ता ने कहा, “हाशिए पर पड़े समूहों की जीवन प्रत्याशा पहले से ही कम थी और महामारी ने सबसे विशेषाधिकार प्राप्त भारतीय सामाजिक समूहों और भारत में सबसे हाशिए पर पड़े सामाजिक समूहों के बीच की खाई को और बढ़ा दिया है.” इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में सभी आयु समूहों में मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, सबसे अधिक युवा और वृद्ध लोगों में.