MP हाई कोर्ट से नेहा सिंह राठौर को झटका, FIR रद्द करने से इनकार, कार्टून में RSS के निक्कर के इस्तेमाल का मामला

Court refuses to quash FIR against Neha Singh Rathore: ‘यूपी बिहार में का बा…’ गाने का बाद सुर्खियों में आई सिंगर नेहा सिंह राठौर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने नेहा के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को निरस्त करने से इनकार कर दिया है। दरअसल नेहा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट एक कार्टून पोस्ट किया था। जिसमें एक व्यक्ति एक आदिवासी मजदूर पर पेशाब करते हुए दिखाई दे रहा था। साथ ही कार्टून मेंआरएसएस के खाकी निक्कर का भी जिक्र था। बतादें कि यह कार्टून सीधी पेशाब कांड से सम्बंधित था। अदालत ने इस पर कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि इस पर उचित प्रतिबंध हैं।

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जस्टिस गुरगुपाल सिंह अहलूवालिया ने पूछा कि नेहा सिंह राठौर ने कार्टून में आरएसएस के खाकी निक्कर का जिक्र करते हुए एक “विशेष विचारधारा” की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि आदिवासी पर पेशाब करने के आरोपी व्यक्ति ने वह पोशाक नहीं पहनी थी। हाईकोर्ट नेकहा, “चूंकि याचिकाकर्ता नेहा द्वारा अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था, जो घटित हुई थी। अपनी मर्जी से आवेदक द्वारा कुछ अतिरिक्त चीजें जोड़ी
गई थीं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए यह कार्टून अपलोड किया था।”

व्यंग के दायरे में नहीं

जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि हालांकि एक कलाकार को व्यंग्य के जरिये आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन जिस तरह से कार्टून में किसी विशेष पोशाक का जिक्र किया गया है उसे व्यंग्य नहीं कहा जा सकता है। आवेदक का प्रयास बिना किसी आधार के किसी विशेष विचारधारा के समूह को कार्टून में शामिल करना था। इसलिए, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के दायरे में नहीं आता है। यहां तक कि व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत प्रतिबंधित हो सकती है।”

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