नेपाल की राजनीति में भूचाल आ गया है। देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli Resign) ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया, जो Gen-Z की हिंसक प्रदर्शनों (Gen-Z Protests Nepal) के बीच संसद भवन पर हमले और राष्ट्रपति के घर पर तोड़फोड़ के बाद हुआ। यह तख्तापलट जैसी स्थिति ने नेपाल को अस्थिरता की गिरफ्त में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर बैन (Nepal Social Media Ban) लगाने की कोशिश विफल रही, और बैन हटने के बाद भी हिंसा (Nepal Violence) थमने का नाम नहीं ले रही।
केपी ओली ने इस्तीफा क्यों दिया?
Why did KP Oli resign: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 8 सितंबर 2025 को इस्तीफा दे दिया। यह फैसला Gen-Z की अगुवाई में चले हिंसक प्रदर्शनों के बीच आया, जब हजारों युवा संसद भवन (Nepal Parliament Building Violence) में घुस आए। प्रदर्शनकारियों ने भवन में आग लगाई, फर्नीचर तोड़ा, और दस्तावेज जलाए। ओली ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (President Bidya Devi Bhandari) को अपना इस्तीफा सौंपते हुए कहा, “मैं देश की एकता और शांति के लिए यह कदम उठा रहा हूं।” ओली का इस्तीफा नेपाल की राजनीति में बड़ा झटका है, क्योंकि वे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Nepal Communist Party) के प्रमुख नेता हैं और 2021 से सत्ता में थे। उनका इस्तीफा भ्रष्टाचार के आरोपों , आर्थिक संकट, और युवाओं की बेरोजगारी के खिलाफ बढ़ते आंदोलन का परिणाम था।
ओली के इस्तीफे के साथ ही नेपाल की राजनीति में कई बड़े नेता भी पद छोड़ने पर मजबूर हो गए। उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल (Deputy PM Ishwar Pokhrel) ने तुरंत इस्तीफा दे दिया, कहा कि वे ओली के फैसले का सम्मान करते हैं। गृह मंत्री राम बहादुर थापा (Home Minister Ram Bahadur Thapa), जिन्हें “बादल” के नाम से जाना जाता है, ने भी पद छोड़ दिया, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उनके खिलाफ सबसे ज्यादा निशाना साधा था। वित्त मंत्री युवराज खतिवड़ा (Finance Minister Yubaraj Khatiwada) ने आर्थिक नीतियों की विफलता स्वीकार करते हुए इस्तीफा दिया। इसके अलावा, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कई सांसदों (MPs) ने पार्टी से दूरी बना ली। राष्ट्रपति भंडारी ने ओली को अंतरिम सरकार (Interim Government Nepal) चलाने का निर्देश दिया है, लेकिन नए प्रधानमंत्री के चुनाव (New PM Election Nepal) की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
नेपाल में क्या हो रहा है
What is happening in Nepal: यह सब Gen-Z की अगुवाई में चले प्रदर्शनों (Nepal Gen-Z Protests) का नतीजा है। नेपाल के युवा, जो बेरोजगारी, महंगाई, और भ्रष्टाचार से तंग आ चुके थे, 1 सितंबर 2025 से काठमांडू की सड़कों पर उतर आए। “युवा क्रांति” नाम से शुरू हुए ये प्रदर्शन सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। हजारों युवा संसद भवन पर मार्च करते हुए नारेबाजी कर रहे थे, “ओली हटाओ, देश बचाओ” (Oli Out, Save Nepal)। प्रदर्शनकारियों ने आर्थिक संकट, युवाओं की नौकरियों की कमी, और ओली सरकार की चीन-समर्थक नीतियों का विरोध किया। हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसके जवाब में युवाओं ने पत्थरबाजी की। संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़और राष्ट्रपति भवन पर हमला ने स्थिति को तख्तापलट जैसी बना दिया।
प्रदर्शनों को दबाने के लिए ओली सरकार ने 3 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 48 घंटे का बैन लगा दिया। फेसबुक, X, इंस्टाग्राम पर प्रतिबंध लगाने का आदेश था, ताकि युवाओं का संगठन टूट जाए। लेकिन यह बैन उल्टा पड़ा। युवाओं ने VPN और वैकल्पिक ऐप्स (VPN and Alternative Apps) का इस्तेमाल कर प्रदर्शन जारी रखे, और बैन को “सेंसरशिप” बताकर और भड़काया। 5 सितंबर को बैन हटाने का ऐलान किया गया, लेकिन इसके बाद हिंसा और तेज हो गई। काठमांडू की सड़कों पर आगजनी, पथराव, और पुलिस के साथ झड़पें हुईं। राष्ट्रपति भवन पर तोड़फोड़ और संसद में आग लगाने की घटनाओं ने स्थिति को बेकाबू बना दिया।