Constitution Day 2025 : ‘एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है। मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है कि इसके हर पेज पर मैं अपना नाम और आखिरी पृष्ठ पर अपने दादा का नाम लिखूंगा…’ ये शब्द संविधान की मूल प्रति के लेखक प्रेम बिहारी रायजादा के थे। आज संविधान दिवस है। आज के ही दिन संविधान लिखा गया था। भारत का संविधान बाबा साबेह भीमराव अंबेडकर की देन है, लेकिन इस संविधान की मूल प्रति प्रेम बिहारी रायजादा ने लिखा था। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रेम बिहारी से संविधान लिखने के लिए कहा था। यह काम इतालवी भाषा में किया गया। प्रेम बिहारी ने इस काम के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया। लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि हर पेज पर अपना नाम लिखेंगे और आखिरी पेज पर अपने दादाजी रामप्रसाद सक्सेना का नाम लिखेंगे। प्रेम बिहारी ने जिस कक्ष में संविधान लिखा, उसमें ही उन्होंने संविधान क्लब बनाया। संविधान हॉल में उन्होंने छह महीने में इसे पूरा किया।
संविधान का भार 13 किलो है
भारत का संविधान खास कागज पर लिखा गया था, जिसकी 432 निब घिस गई हैं। यह संविधान की मूल प्रति 45.7 सेमी चौड़ा और 58.4 सेमी लंबा खास पार्चमेंट कागज पर लिखा गया था। यह कागज ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर से मंगाया गया था। संविधान की मूल प्रति लेदर की काली जिल्द में है। अंग्रेजी में इसकी 233 पन्ने हैं, जिन पर सोने की कारीगरी की गई है। हिंदी में इसकी 264 पन्ने हैं, और इसका वजन 13 किलो है। हिंदी की यह प्रति पुणे के रिसर्च सेंटर में बनी है। इसे कैलिग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने लिखा था। यह 13 किलो वजन वाली है। यह कागज 1000 साल तक खराब नहीं होता। इसकी पांडुलिपि का वजन 3.75 किलो है।
संविधान की मूल प्रति कहां है?
संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित रखने के लिए 1985 में संसद ने कदम उठाए। नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी ने कांच के सीलबंद बॉक्स बनाए, जिनमें संविधान की मूल प्रति सैकड़ों साल तक सुरक्षित रखी जा सकती है। अमेरिकी संविधान को भी इसी तरह नाइट्रोजन बॉक्स में रखा गया। संविधान की मूल प्रतियों को सुरक्षित करने के लिए 180 x 305 सेमी के सील बॉक्स बनाए गए। ये बॉक्स अमेरिका के कैलिफोर्निया से नई दिल्ली लाए गए। इनमें केमिकल डाला गया ताकि उसमें ऑक्सीजन न रहे और कागज खराब न हो।
कैसे लिखा गया था संविधान ?
संविधान में 395 अनुच्छेद, 8 शेड्यूल और एक प्रस्तावना है। संविधान में सबसे पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का हस्ताक्षर होना था, लेकिन सबसे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए। जब राजेंद्र प्रसाद पहुंचे, तो उन्होंने तिरछे हस्ताक्षर किए, क्योंकि उनकी जगह नहीं थी। संविधान की कहानी 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुई, जब संविधान सभा की पहली बैठक हुई। 4 नवंबर 1947 को ड्रॉफ्ट समिति ने मसौदा तैयार किया। दो साल तक बहस चली और 2000 बदलाव किए गए। अंत में 26 नवंबर 1949 को संविधान को स्वीकार किया गया। 26 नवंबर 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए गए और 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ। 2015 में, संविधान के 125 साल पूरे हुए, और उसी साल 19 नवंबर को हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का फैसला किया गया।
संविधान की मूल प्रति लिखने वाले प्रेम बिहारी कौन हैं?
प्रेम बिहारी का बचपन में अपने माता-पिता का निधन हो गया था। उनके दादा, रामप्रसाद सक्सेना, जिन्होंने अंग्रेजी और फारसी भाषा में ज्ञान प्राप्त किया था, ने उन्हें पाला। रायजादा ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने सुलेखन और कैलीग्राफिक आर्ट में महारत हासिल की। संविधान के लेखक प्रेम बिहारी रायजादा ने कहा था कि उन्हें इस काम के लिए एक पैसा भी नहीं मिला। उनका कहना था, “मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है। मैं खुश हूं, बस एक शर्त है कि हर पेज पर मैं अपना नाम लिखूंगा और आखिरी पृष्ठ पर अपने दादा का नाम।”
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