MP Politics 2023: मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है. पार्टी इस हार से तिलमिलाई हुई है. कांग्रेस के आलाकमान इस हार की वजह ढूढ़ने में लगे हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हारे हुए विधायकों से उनकी हार का कारण पुछा है.
MP Congress News: चुनाव प्रचार के समय ये अनुमान लगाया जा रहा था कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है. 3 दिसंबर को मतगणना के बाद कई राजनितिक पंडितों का ज्ञान धरा का धरा रह गया. प्रदेश में भारी बहुमत के साथ भाजपा सरकार बनाने जा रही है. तो वहीं कांग्रेस हार के कारणों को टटोलने का प्रयास कर रही है. भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले विंध्य में कांग्रेस को एक बार फिर से निराशा हाथ आई है. विंध्य की कुल 30 विधानसभा सीटों में से केवल 5 सीटें जितने में कांग्रेस सफल हो पाई है.
Vindhya Political News: भाजपा की सुनामी के बीच कांग्रेस से बड़ी खबर सामने आ रही है। भाजपा की आंधी में जहां 33 वर्षों से लगातार विधायकी का चुनाव जीत रहे गोविंद सिंह जैसे बड़े नेता हार गए. तो वहीं सतना विधानसभा से लगातार 2 बार के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा (Siddharth Kushwaha) ने भाजपा के 4 बार के सांसद गणेश सिंह को पटखनी दे दी. यह जीत सही मायने में कांग्रेस के लिए बड़ी जीत है.
विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को मिल सकती है जिम्मेदारी
Satna Political News: प्रदेश में OBC वोटरों बड़ी संख्या है. कांग्रेस कुछ दिनों से जातीय जनगणना को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है. वादा कर रही थी कि अगर हमारी सरकार प्रदेश में बनती है तो हम जातीय जनगणना कराएंगे, और यह बात कांग्रेस नेता राहुल गाँधी जगह-जगह घूम के बता रहे हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तो नहीं बनी लेकिन जितना उसके हाथ में हैं उतना करने के संकेत तो दे ही रही है. कांग्रेस, प्रदेश में जातिगत समीकरण साधने के लिए ओबीसी के बड़े चेहरे बनकर उभरे, दूसरी बार के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर विचार कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह चर्चा दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व में हो रही है.
Satna Vidhansabha Update: चर्चाओं का दौर इसलिए भी गर्म हो गया है, क्योंकि विंध्य में सिद्धार्थ कुशवाहा से बड़े और सीनियर लीडर हैं. जैसे अजय सिंह राहुल और राजेंद्र सिंह जो कई बार के विधायक हैं. उनको दरकिनार कर सिद्धार्थ को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग के पीछे कांग्रेस के इन दोनों नेताओं को कमजोर करने की साजिश हो सकती है. विंध्य को लेकर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व पर भी आरोप लगता रहा कि सवर्णों के लेकर कांग्रेस दोहरा रवैया अपना रही है. क्योंकि विंध्य में क्षत्रिय और ब्राह्मण की अच्छी खासी जनसंख्या है. ऐसे में सवर्णों को नजरअंदाज करना कांग्रेस की इस बार के विधानसभा चुनाव में बड़ी भूल साबित हुई है. सिद्धार्थ कुशवाहा, पिछड़ा वर्ग प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद में है, ऐसे में अगर उन्हें एक और बड़ी जिम्मेदारी मिलती है तो, विंध्य के बाकि कांग्रेस नेता और सवर्णों को नजरअंदाज करना जैसा ही होगा। जिसका खामियाजा एक बार फिर से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस विषय में क्या सोचता हैा? ये उन्हें ज्यादा बढ़िया से पता है. खैर अभी ये कयास लगाए जा रहे है. अभी इस बात की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.