Haryana Elections : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से अखिलेश यादव को मिली तीखी बेइज्जती लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए खास तौर पर फायदेमंद साबित हुई और उसने 37 सीटें जीतीं। कांग्रेस को भी छह सीटों के साथ नई संजीवनी मिली। आगे बढ़ने के लिए उसे अभी और समर्थन की जरूरत है, लेकिन समाजवादी पार्टी अब गठबंधन को बनाए रखने की ज्यादा इच्छा दिखा रही है।
अखिलेश का समझौतावादी रुख। Haryana Elections
सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की अखिलेश यादव की इच्छा ही है कि वह हरियाणा में कांग्रेस से सीटें मांग रहे हैं। संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस एक सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद अखिलेश ने समझौतावादी रुख अपनाकर साफ कर दिया है कि कांग्रेस भले ही आंखें फेर ले, लेकिन वह 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक उसका ‘हाथ’ नहीं हिलाएंगे।
समाजवादी पार्टी का होगा विस्तार।
दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा को हराने के इरादे से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। उधर, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सहयोगी और इंडियाआए गुट का हिस्सा समाजवादी पार्टी भी अपने विस्तार के लिए हरियाणा में किस्मत आजमाने को तैयार है।
कांग्रेस को तीन सीटें देने का प्रस्ताव।
सूत्रों के अनुसार, सपा दस-बारह सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी, लेकिन इस राज्य में सपा का कमजोर जनाधार देखकर कांग्रेस ने उसके साथ सीट बंटवारे पर बातचीत आगे नहीं बढ़ाई। बताया जाता है कि इसके बाद सपा ने भी पांच-छह सीटों का संदेश भेजा और अब तीन सीटों का प्रस्ताव दिया है, लेकिन कांग्रेस का फोकस सिर्फ आम आदमी पार्टी से गठबंधन पर है।
चार-पांच सीटों के लिए होगा विचार।
दूसरी ओर, हाईकमान ने संकेत दिए हैं कि उत्तर प्रदेश में दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव की बातचीत फिलहाल टल गई है। हरियाणा में आप से गठबंधन की स्थिति स्पष्ट होने और कांग्रेस का माहौल दिखने के बाद यूपी उपचुनाव के लिए चार-पांच सीटों पर सपा से बातचीत होगी। हालांकि, अपनी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस दो-तीन सीटों पर भी राजी हो जाएगी। इसका कारण यह है कि गठबंधन बनाए रखना कांग्रेस की मजबूरी भी है।
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