Bharat Ratna LK Advani: वर्ष 1980 से विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस अपने स्तर पर राम मंदिर मुहीम शुरआत कर दी थी. लेकिन उसको गति मिली 1990 में जब भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण अडवाणी ने राम रथ यात्रा की शुरुआत की. आडवाणी की इस राम रथ यात्रा भारत की राजनीति को एक नई दिशा दी. इस रथ यात्रा ने Lal Krishna Advani को प्रखर हिंदूवादी और राष्ट्रवादी नेता के तौर खड़ा कर दिया और दूसरा भारतीय जनता को सशक्त राजनितिक दल के रूप में देश के सामने लाया। रथ यात्रा के शुरुआत के लिए जो जगह चुनी गई वो भी बहुत रणनीतिक थी. वो जगह थी गुजरात का सोमनाथ मंदिर जी हां ये वही सोमनाथ मंदिर है जिसे महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था.
Lal Krishna Advani Bharat Ratna: 25 सितंबर को जब यह राम रथ यात्रा गुजरात के सोमनाथ से शुरू की गई. तो ये खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गई. अडवाणी अपनी रथ यात्रा के साथ जहां भी जाते लोग उनका बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत करते। अपनी हर सभा में अडवाणी ओजस्वी भाषण देते और कहते यह यात्रा जो सोमनाथ से चली है. अयोध्या पहुंचने से पहले रुकेगी नहीं।
Lal Krishna Advani News: यह रथ यात्रा 16 राज्यों से होकर गुजरने वाली थी. रथ यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती लोगों का हुजूम बढ़ता जा रहा था. भाजपा विरोधियों को यह लगने लगा था कि जैसे-जैसे यह रथ यात्रा आगे बढ़ रही है भाजपा और लाल कृष्ण अडवाणी की लोकप्रियता भी बढ़ रही थी। गुजरात के सोमनाथ से शरू हुई यह यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुचनी थी. 22 अक्टूबर को यह यात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुंच चुकी थी. समस्तीपुर में बड़ी जनसभा होनी थी. भाजपा सहित सभी सहयोगी दल इस जनसभा की तैयारी में लगे हुए थे. इसी बीच लाल कृष्णा अडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री थे लालू प्रसाद यादव। लालू यादव ने अडवाणी को गिरफ्तार कर उसी वक़्त हेलीकाप्टर से दुमका के एक रेस्ट हाउस में भेज दिया. जहां उनको कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया. इस घटना से कई सारी चीजें हुई पहला तो अडवाणी की अनुपस्तिथि से राम रथ यात्रा रुक गई. दूसरा आडवाणी का राजनितिक कद बढ़ा और तीसरा लालू प्रसाद यादव को हिन्दू विरोधी ओबीसी नेता के तौर पर खड़ा कर दिया। 30 अक्टूबर को देशभर से कारसेवक अयोध्या पहुंच गए। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे. भारी संख्या में अयोध्या पहुंचे कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियों की बौछार कर दी। दावा किया गया कि पुलिस की इस गोलीबारी में 55 राम भक्त मारे गए। हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17 कारसेवकों के मारे जाने की बात ही मानी।
Bharat Ratna Lal Krishna Advani: बहरहाल, विश्व हिंदू परिषद ने दो साल बाद 30, अक्टूबर 1992 को बाबरी मस्जिद की बगल की जमीन पर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अडवाणी के संपर्क में रहने लगे। जब राव और आडवाणी ने आश्वासन दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर, 1992 को अनुमति दी कि कार सेवक 6 दिसंबर को अयोध्या में भजन का आयोजन कर सकते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी अयोध्या पहुंच गए। मुरली मनोहर जोशी भी उनके साथ थे। दोनों ने 5 दिसंबर की रात जानकी महल धर्मशाला में बिताई। अगली सुबह वो 10.30 बजे बाबरी मस्जिद की जगह पहुंचे। विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल, भाजपा नेता विजयाराजे सिंधिया और उमा भारती, बजरंग दल के विनय कटियार, कुछ साधु समेत लाखों की भीड़ वहां उपस्थित थी। दोपहर होते-होते कुछ लोग अचानक मस्जिद के गुंबदों पर चढ़ने लगे। आडवाणी ने माइक से ऐसा नहीं करने की अपील की। विजयाराजे सिंधिया भी बार-बार गुहार लगाती रहीं, लेकिन गुंबदों पर भीड़ बढ़ती रही। करीब 1.55 बजे पहला गुंबद गिर गया।
बाबरी मस्जिद विध्वंस की खबर फैलते ही देश में अशांति फैल गई। कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। आडवाणी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद त्याग दिया। राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया। आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद प्रतिबंधित कर दिए गए। आडवाणी आज भी कहते हैं कि उनकी इच्छा कभी नहीं थी कि बाबरी मस्जिद को इस तरह ढहा दिया जाए। बाबरी विध्वंस के नौ दिन बाद 16 दिसंबर 1992 को लिब्रहान आयोग का गठन हुआ। आयोग को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देना था। इधर, कानूनी प्रक्रिया चलती रही। लगभग तीन दशक की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 30 सितंबर, 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने लाल कृष्ण आडवाणी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था और आरोपी (आडवाणी) ‘भीड़ को रोकने की कोशिश कर रहे थे, न कि उन्हें भड़का रहे थे।’ तब भी आडवाणी ने कहा कि उनका कभी भी ढांचे को गिराने का इरादा नहीं था और वो राम मंदिर आंदोलन के माध्यम से एक महान और प्राचीन संस्कृति में सभ्यता के गौरव को पुनर्जीवित करना चाहते थे।
आडवाणी ने 6 अप्रैल, 2004 को भारत उदय यात्रा के क्रम में अयोध्या में थे। तब उप-प्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा, ‘भाजपा के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेना धार्मिकता से प्रेरित नहीं था। हम तत्कालीन कांग्रेस सरकार के पाखंड और दोहरे मानकों से क्रोधित थे और इस अवसर का उपयोग भारत में धर्मनिरपेक्षता पर एक आवश्यक बहस शुरू करने के लिए किया। मैं मानता हूं कि तथाकथित धर्मनिरपेक्षता पर हमारे लगातार हमले जरूरी सुधार लाए। इससे सभी धार्मिक समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बराबर का ध्यान देने का रास्ता खुला। मेरा मानना है कि 1989 और 1996 के बीच भाजपा के असाधारण विकास का श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन के समर्थन को जाता है।