मोदी और इंद्रा गांधी की तुलना , जानिए अब क्या बोली कंगना

बीजेपी सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी रिलीज के लिए तैयार है। ऐसे में कंगना तमाम समाचार चैनलों के साक्षात्कार में इस फिल्म के बारे में बता रहीं है। आपको बता दे कि यह फिल्म इंद्रा गांधी के आपातकाल के दौर पर आधारित है। एक निजी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कंगना ने कहा कि अगर आप किसी की तारीफ करते है , किसी को सम्मान देते है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी का अपमान करते है। 70 के दशक में गैस का कनेक्शन लगने में छह महीने लगते थे। हमारी फिल्म में दिखाया गया है कि उस वक्त आदमी फ्रस्ट्रेशन से भरा हुआ था। कंगना ने आगे कहा कि आज हम अलग दुनिया में है। आज भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनी हुई है। इंद्रा गाँधी को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बाहर खड़ा रखते थे। आज देखिये हमारे प्रधानमंत्री को किस तरह का सम्मान मिलता है।

कंगना ने आगे कहा कि इंद्रा गाँधी तीन बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकी है। कुछ लोग सोचते है कि इंद्रा गाँधी सिर्फ राहुल गाँधी की दादी थी। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। इंद्रा गाँधी को सिर्फ राहुल गाँधी की दादी कहना उनके कद को काफी सीमित कर देता है। वह पूरे देश की प्रधानमंत्री थी। वह हमारा इतिहास थी. हमारे इतिहास का हिस्सा थीं। उन पर हमारा भी उतना ही हक़ है। रनौत ने आगे कहा कि इंद्रा से ज्यादा नेहरू का अमेरिका में स्वागत किया जाता था। हमें जो रिसर्च से पता चला हम वही बता रहे है। राष्ट्रपति निक्सन ने इंद्रा गाँधी से मिलने के बाद उनके बारे में जो बातें कही उन्हें जानकर आपका दिल दुःख जाएगा।

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कंगना की फिल्म इमरजेंसी छह सितम्बर को रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म 25 जून 1975 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गाँधी पर आधारित है। जब इस साक्षात्कार में उनसे राहुल गाँधी की तुलना इंद्रा गाँधी से करने के बारे में पूछा गया । तब उन्होंने कहा यह एक मजाक है , प्लीज़ देश के साथ ऐसा मजाक मत कीजिये।

कंगना ने कहा कि राहुल के पास कोई विज़न नहीं है। उनका खुद का कोई रास्ता नहीं है। उनके भाषणों में भी कई तरह की गड़बड़िया देखने को मिलती है। पूर्व प्रधानमंत्री राहुल गांधी और इंद्रा गाँधी का रास्ता बिल्कुल अलग है। कंगना ने आगे कहा कि ऐसा लगाता है कि उनके पास किसी भी तरह का ठोस विचार नहीं है।

क्या है आपातकाल का इतिहास ?

25 जून 1975 की वो तारीख जब आधी रात को देश में आपातकाल की की घोषणा की गयी। भारत के लोकतंत्र के लिए यह काला दिवस था। यही वह दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर देश में आपातकाल का एलान किया था। आपातकाल का एलान खुद राष्ट्रपति इंद्रा गाँधी ने ऑल इंडिया रेडिओ पर किया।

आपको बता दे कि आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से सबसे अहम कारण था राजनीतिक अस्थिरता। इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें।

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