महंगाई दर में लगातार गिरावट हुई है, जी हां बीते कुछ महीनों से महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है. इससे यह जाहिर होता है कि आम आदमी का जेब खर्च कम हुआ होगा. और खास तौर पर खाद्य वस्तुओं पर होने वाले खर्च में कमी आई होगी, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि लोगों की जेब पर औसत खर्च का बोझ कम हुआ होगा. आंकड़े बताते हैं कि देश में हर व्यक्ति पर टैक्स का बोझ है, साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. स्कूलों की फीस 10-20 फीसदी तक बढ़ रही है. सड़क पर गाड़ी चलाना भी पांच से 10 फीसदी तक महंगा हो रहा है.
गौरतलब है कि बीते 10-15 वर्षों के दौरान आम आदमी पर कई टैक्स का बोझ बढ़ा है ,क्योंकि हर तरह की सेवा पर शुल्क एवं कर वसूला जा रहा है. कुछ नए कर जीवन में जुड़े हैं तो वहीं पूर्व से निर्धारित करों को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है, चलिए आपको बताते हैं इन टैक्स के बारे में…
Banking Services पर Charge
बैंकिंग सेवा में सुधार तो हुआ है लेकिन बैंकों ने हर सेवा पर शुल्क लगाया दिया है, जिस पर जीएसटी अलग से लिया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर एक मई से बैंकों ने एटीएम से अपने निर्धारित बैंक से पांच लेन-देन की मासिक सीमा के बाद प्रत्येक लेन-देन पर 23 रुपये शुल्क के साथ जीएसटी भी लगा दिया है. बैंक न्यूनतम बैंलेस न होने पर भी ग्राहकों पर भारी जुर्माना लगा रहे हैं, जिससे एक वर्ष में 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हो रही है.
Banking services Charges
Duplicate Passbook (डुप्लीकेट पासबुक)- 100 रुपये
Cheque Payment (चेक भुगतान) को रोकना – 200 रुपये प्रति चेक से अधिकतम 500 रुपये
ग्राहक की कमी से चेक वापस होना – 150 रुपये
हस्ताक्षर सत्यापन – 100 रुपये
संयुक्त बैंक खाते में हस्ताक्षर सत्यापन – 150 रुपये
Demand Draft (डिमांड ड्राफ्ट) – पांच से 10 हजार तक 75 रुपये
Postal Charge (पोस्टल चार्ज) – 50 से 100 रुपये
Bank से Cash Withdraw (कैश निकासी) करने पर- पांच बार के बाद 75 रुपये प्रति निकासी
Account Maintanance (खाता रखरखाव चार्ज)- 500 रुपये
SMS Alert – 10 से 35 रुपये प्रति तिमाही
बैंक खाते में मोबाइल नंबर व ई-मेल आईडी बदलना – 50 रुपये व जीएसटी अतिरिक्त
Debit Card Maintanance (डेबिट कार्ड रखरखाव चार्ज) – 250 से 800 रुपये
डेबिट कार्ड री-पिन बदलना – 50 रुपये
शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिवर्ष 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी
आपको बताएं हर परिवार की जेब पर शिक्षा खर्च का बोझ तेजी से बढ़ा है. स्कूल अपनी फीस में भले ही सरकारी नियमों के हिसाब से बढ़ोत्तरी कर रहे हों, लेकिन उसके अतिरिक्त तमाम मदों में बढ़ोत्तरी की जा रही है. स्थिति यह है कि अगर किसी स्कूल की फीस वर्ष 2014-15 में तीन से चार हजार रुपये मासिक थी तो वह अब 15 हजार रुपये तक पहुंच गई है. बीते तीन वर्षों के दौरान ही स्कूली शिक्षा खर्च 50 से 60 फीसदी तक बढ़ गया है. डोनेशन, एडमिशन, वार्षिक फीस, ड्रेस, किताब, जूते, ट्रांसपोर्टेशन का खर्च हर साल 10-20 फीसदी के बीच बढ़ रहा है.
Dairy Items भी Tax के दायरे में
गौरतलब है कि, जुलाई 2022 से पैकेट बंद दूध, दही, पनीर और आटे पर जीएसटी लगाया जा रहा है. इन सभी पर पांच फीसदी जीएसटी है. जुलाई 2017 में जीएसटी के आने के बाद सामान्य जीवन से जुड़ी काफी चीजें कर के दायरे में आ गई हैं, जिससे आम आदमी के जेब पर करों का बोझ बढ़ा है.
गाड़ी खरीदना और चलाना भी महंगा
गाड़ी खरीदना और चलाना महंगा हो रहा है. देश में टोल प्लाजा की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिनकी हर वर्ष टोल दर पांच से 10 फीसदी तक बढ़ रही है. इतना ही नहीं, गाड़ी पर लगे फास्टैग पर भी चार्ज लगा दिए हैं. उधर, गाड़ियों की कीमतें भी हर वर्ष 10 से 15 फीसदी के औसत से बढ़ रही हैं. गाड़ियों का प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाना और बीमा कराना भी महंगा हो गया है, जिस पर 18 फीसदी जीएसटी अलग से लग रहा है.
Fastag Service Charge
टैग फीस 100 रुपये
न्यूनतम बैलेंस (कार) 200 रुपये
नेट बैंकिंग से रिचार्ज 8 रुपये व जीएसटी प्रति रिचार्ज
क्रेडिट कार्ड से रिचार्ज 0.90 प्रतिशत व जीएसटी प्रति रिचार्ज
इंश्योरेंस फीस 100 रुपये
दोबारा से टैग जारी होना 100 रुपये
सिक्योरिटी जमा 100 रुपये
स्टेटमेंट 50 रुपये प्रति