बीते दिन सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने गंगा जल (Ganga Jal) को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमे बताया गया की गंगा और यमुना नदी का पानी ना तो पीने लायक है और ना ही नहाने के लायक। CBCP ने 6 जगहों से टेस्टिंग करने के बाद यह रिपोर्ट पेश की जिसमे बताया गया कि दोनों नदियों में फेकल कोलोफोर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से काफी ज्यादा है, इसके सेवन से त्वचा रोग होने का खतरा है.
जब ये रिपोर्ट आई तो विपक्ष ने महाकुम्भ के आयोजन और योगी सरकार को दोष देना शुरू कर दिया। जाहिर है महाकुंभ और मां गंगा हिन्दुओं की आस्था का विषय है और लोग आंख मूंदकर गंगाजल ग्रहण करते हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट के आने से लोगों में बीमार होने का डर पैदा हो गया। क्योंकी महाकुंभ में 55 करोड़ लोगों ने स्नान किया और भर भर कर गंगजल अपने घरों में भी ले गए जहां करोड़ों ने इसका सेवन किया होगा। अब इस रिपोर्ट को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहस हुई जहां यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को जवाब दिया।
नहाने और आचमन के लायक है गंगाजल
Is Ganga Jal Safe To Drink : संगम में फेकल बैक्टीरिया रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा में कहा- त्रिवेणी के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है। संगम और उसके आसपास के सभी पाइप और नालों को टेप कर दिया गया है। पानी को शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है।
आज की रिपोर्ट के अनुसार, संगम के पास BOD की मात्रा 3 से कम है और घुलित ऑक्सीजन 8-9 के आसपास है। इसका मतलब है कि संगम का पानी न केवल नहाने के लिए बल्कि आचमन के लिए भी उपयुक्त है। फेकल कोलीफॉर्म बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे सीवेज लीकेज और जानवरों का मल, लेकिन प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानकों के अनुसार 2500 MPN प्रति 100 ml से कम है। इसका मतलब है कि झूठा अभियान केवल महाकुंभ को बदनाम करने के लिए है। NGT ने भी कहा है कि फेकल अपशिष्ट 2000 MPN प्रति 100 ml से कम था।