मुस्तफाबाद का नया नाम, New name of Mustafabad: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लखीमपुर खीरी जिले के मुस्तफाबाद गांव (Mustafabad Village) का नाम बदलकर ‘कबीर धाम’ (Kabir Dham) रखने का आदेश दिया है। 27 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, योगी आदित्यनath ने कहा कि यह कदम गांव की ऐतिहासिक पहचान को बहाल करने के लिए जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। क्या यह कदम राजनीतिक विवाद को जन्म देगा, या यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान (UP CM Cultural Revival) का हिस्सा है?
सीएम योगी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, “मैंने इस गांव के बारे में पूछा, और मुझे बताया गया कि इसका नाम मुस्तफाबाद है, लेकिन यहां एक भी मुस्लिम नहीं रहता। मैंने कहा कि इसका नाम बदलकर कबीर धाम रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह गांव संत कबीर (Saint Kabir) से जुड़ा है।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थानों को बहाल करने के लिए काम कर रही है।
मुस्तफाबाद गांव को पहले कबीर धाम के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1970 के दशक में इसका नाम बदल दिया गया था। योगी ने कहा कि यह बदलाव “सेक्युलरिज्म के नाम पर विरासत मिटाने” का हिस्सा था, और अब उनकी सरकार इसे सही कर रही है। उन्होंने उदाहरण के रूप में प्रयागराज, अयोध्या, और अन्य स्थानों के नाम बदलने का हवाला दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
BJP ने इस कदम का स्वागत किया और इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान” बताया, जबकि विपक्षी पार्टियों, खासकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस, ने इसे “राजनीतिक स्टंट” करार दिया। कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू (Ajay Kumar Lallu) ने कहा, “यह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है, और इससे विकास नहीं होता।” वहीं, BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshu Trivedi) ने कहा, “यह कदम उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा।”
इस नाम बदलाव से स्थानीय स्तर पर सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व (Cultural and Religious Importance) बढ़ेगा, लेकिन यह राजनीतिक विवाद (Political Controversy) को भी जन्म दे सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम योगी आदित्यनath की “हिंदुत्व एजेंडा” (Hindutva Agenda) को और मजबूत करेगा, लेकिन इससे सामाजिक सौहार्द (Social Harmony) पर असर पड़ सकता है।
