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इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर माथापच्ची, दिल्ली से लेकर बिहार, बंगाल तक कांग्रेस पर दबाव

(Rahul Gandhi

(Rahul Gandhi

लोकसभा चुनाव 2024 अब नजदीक है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी तैयारियों में जुटे हैं. सत्ता पक्ष जहां अपने कामों को गिना कर जनता को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटा है तो वहीं विपक्ष के लिए सबसे बड़ा टास्क सीट शेयरिंग है(INDIA Alliance Seat Sharing). विपक्षी गठबंधन INDIA में सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक बात नहीं बन पाई है. 31 दिसंबर की तारीख भी बीत चुकी है. अपनी पिछली बैठक में इंडिया गठबंधन ने इस तारीख को डेडलाइन बताया था. हालांकि, अभी तक इस मुद्दे पर अंतिम फैंसला नहीं हो सका है. विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक में सहयोगी पार्टियों के बीच शेयरिंग को खींचतान और तनाव बना हुआ है. इस परिस्तिथि में सबसे अधिक मुश्किलों का सामना कांग्रेस को करना पड़ रहा है.

गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस के लिए सभी दलों को साधने की चुनौती है. वहीं कांग्रेस को अधिक सीटें चाहिए ताकि उसका अस्तित्व बना रहा है. लेकिन समस्या ये है कि सभी राज्यों की क्षेत्रीय पार्टी और उनके सहयोगी दल अपने-अपने प्रभाव वाले राज्य में कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं. सीट शेयरिंग को लेकर हर राज्य में कांग्रेस पर एडजस्ट करने का दवाब है.

तृणमूल कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में INDIA गठबंधन की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के लिए सिर्फ दो सीटों की पेशकश की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की नेतृत्व वाली पार्टी की राय है कि बंगाल में सीट बटवारे का अंतिम फैसला लेने की अनुमति TMC को मिलनी चाहिए। सीट शेयरिंग की संख्या एक स्पष्ट फॉर्मूले पर आधारित है, जिसमें संसदीय चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों का तालमेल बिठाया गया है.

उदार नहीं है कांग्रेस का रवैया

सीट शेयरिंग पर सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस को दी गई है. कांग्रेस ने राज्यों के नेताओं के साथ चर्चा के बाद सीटों की संभावित लिस्ट तैयार कर ली है. कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे इसलिए बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में उसकी भूमिका अग्रणी होगी। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) गठबंधन के सहयोगी दलों को यह आश्वासन दिया था कि सीट शेयरिंग पर पार्टी एक उदार रवैया अपनाएगी। उसके मुताबिक, हिंदी भाषी राज्यों में समझौते के मूड में नहीं दिख रही है.

Congress to focus on 255 seats in Lok Sabha: कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य इकाइयों से कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में 225 सीटों पर फोकस करेगी यानि कांग्रेस इंडिया गठबंधन में खुद के लिए 225 सीटें चाहती हैं. कांग्रेस इन सीटें पर लड़ने के लिए बस अपने सहयोगी पार्टियों से हामी चाहिए। हालांकि, सीटों की यह संख्या 2019 के आम चुनावों की तुलना में कम है फिर भी कांग्रेस को इतनी सीटें मिलना थोड़ा मुश्किल है. नॉर्थ से लेकर साउथ तक सीट शेयरिंग पर तमाम राज्यों की पार्टियां कांग्रेस को किनारा कर रही हैं.

कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति ने गुरुवार यानि 4 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Kharge) और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें लोकसभा चुनाव में गठबंधन के घटक दलों के साथ सीट-बंटवारे पर राज्य इकाइयों की प्रतिक्रिया से अवगत कराया. समिति ने कहा कि INDIA के घटक दलों से राज्य वार बातचीत जल्द शुरू की जाएगी.

इस समिति के संयोजक मुकुल वासनिक हैं. समिति में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत(Ashok Gehlot), भूपेश बघेल(Bhupesh Baghel), मोहन प्रकाश और सलमान खुर्शीद सदस्य हैं. समिति ने पार्टी नेतृत्व को निर्णायक बातचीत के लिए आगे की राह सुझाई है. मुकुल वासनिक ने कहा, ‘‘हम जल्द ही गठबंधन सहयोगियों के साथ बातचीत शुरू करने जा रहे हैं. हम विभिन्न पार्टियों की सुविधा और उपलब्धता को देखेंगे और फिर चर्चा के साथ आगे बढ़ेंगे. सीटों का बंटवारा जल्द किया जाना है.’’

कांग्रेस ने यूपी में 40 सीटों की मांग की

INDIA Alliance in UP: मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी में कांग्रेस उन 40 सीटों की सूची तैयार कर रही है जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। जिसकी सूचि पार्टी की बड़ी बैठक में सौपी जाएगी। कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में भी कांग्रेस की पकड़ अच्छी है और अगर गठबंधन में रहते हुए सपा, बसपा को बड़ा हिस्सा दे सकती है तो कांग्रेस को क्यों नहीं? जिन सीटों पर कांग्रेस की नजर है उनमें से कई सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की भारी मौजूदगी है। ये सीटें सपा की पसंदीदा हैं. अब देखना होगा की अखिलश यादव कांग्रेस के इस निर्णय से कितना सहमत होते हैं.

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