CJI-प्रोटोकॉल उल्लंघन केस में अफसरों पर कार्रवाई की याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर ₹7000 जुर्माना

cji in maharashtra

CJI B.R. Gavai: यह मामला मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई के 18 मई को मुंबई दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन न होने से संबंधित था। कोर्ट ने इसे “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार देते हुए याचिकाकर्ता पर ₹7000 का जुर्माना लगाया। 23 मई को CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसिह की बेंच ने इस याचिका को खारिज करते हुए इसे “सस्ती पब्लिसिटी” के लिए दायर किया गया बताया।

सर्वोच्च न्यायालय ने 23 मई 2025 को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रोटोकॉल उल्लंघन के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी। यह मामला मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई के 18 मई को मुंबई दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन न होने से संबंधित था। कोर्ट ने इसे “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार देते हुए याचिकाकर्ता पर ₹7000 का जुर्माना लगाया।

अधिकारियों की अनुपस्थिति पर जताई थी नाराजगी

महाराष्ट्र के अपने पहले आधिकारिक दौरे पर CJI बी.आर. गवई ने मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में भाग लिया था। इस दौरान राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति पर CJI ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों – न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका – को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

याचिकाकर्ता पर ₹7000 का जुर्माना

हालांकि, CJI ने बाद में इस मुद्दे को “तुच्छ” बताते हुए इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि संबंधित अधिकारियों ने खेद व्यक्त किया है और मामले को समाप्त करना चाहिए। इसके बावजूद, वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने इस मामले में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक PIL दायर की थी।

23 मई को CJI बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसिह की बेंच ने इस याचिका को खारिज करते हुए इसे “सस्ती पब्लिसिटी” के लिए दायर किया गया बताया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि जब CJI ने स्वयं इस मामले को समाप्त करने की अपील की थी, तो इसे अनावश्यक रूप से उठाने का कोई औचित्य नहीं है। बेंच ने याचिकाकर्ता पर ₹7000 का जुर्माना भी लगाया।

मंत्री जयकुमार रावल ने दिए जांच के आदेश

CJI की नाराजगी के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए CJI को “स्थायी राज्य अतिथि” का दर्जा दिया और प्रोटोकॉल दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, CJI के दौरे के दौरान मुख्य सचिव, DGP या उनके वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसके अलावा, राज्य के प्रोटोकॉल मंत्री जयकुमार रावल ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

राजनीतिक विवाद को जन्म

इस घटना ने महाराष्ट्र में राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। विपक्षी नेताओं, विशेष रूप से कांग्रेस और शिवसेना (UBT) ने सरकार पर CJI का अपमान करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता नाना पाटोले ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। वहीं, राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने CJI से माफी मांगी और कहा कि यह एक अनजाने में हुई चूक थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश करार देते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि तुच्छ मुद्दों को अनावश्यक रूप से उछालना स्वीकार्य नहीं है। CJI गवई ने स्वयं इस मुद्दे को समाप्त करने की अपील की थी, और कोर्ट ने इसे लागू करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। यह घटना संवैधानिक संस्थानों के बीच आपसी सम्मान और प्रोटोकॉल के महत्व को रेखांकित करती है।

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