UK Professor OIC Cancel: भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखी पोस्ट, रद्द हुई नागरिकता, जानें पूरा मामला

UK Professor OIC Cancel: लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में डॉ. निताशा कौल नाम की एक प्रोफेसर हैं, जो वहां राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में पढ़ाती हैं। कश्मीर मूल की ब्रिटिश नागरिक डॉ. कौल लोकतंत्र, मानवाधिकार और दक्षिण एशियाई राजनीति पर काम करती हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ भारत सरकार द्वारा भेजे गए एक आधिकारिक पत्र के अंश साझा किए, जिसमें उन्हें उनकी ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) रद्द किए जाने की जानकारी दी गई।

भारत विरोधी गतिविधियों के कारण ओसीआई रद्द

इस पत्र में लिखा है कि उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों और दुर्भावना से प्रेरित भाषणों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। विवाद तब और गहरा गया जब यह बात सामने आई कि फरवरी 2024 में उन्हें बेंगलुरु में एक सम्मेलन में भाग लेने से रोका गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि भारत से बाहर के शिक्षाविदों को देश और परिवार में प्रवेश करने से रोकना भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन से जुड़ा है।

भारतीय नागरिकता कैसे रद्द की जाती है? UK Professor OIC Cancel

तो यह जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता कैसे रद्द की जाती है? इसके लिए भारत सरकार को, संविधान के अनुच्छेद 7बी और ओसीआई अधिनियम 2005 के तहत ओसीआई रद्द करने का अधिकार है। इसके भी कुछ सिद्धांत हैं जैसे अगर कोई व्यक्ति भारत के संविधान, संप्रभुता या सुरक्षा के खिलाफ कोई काम करता है या बयान देता है तो उसका ओसीआई रद्द किया जा सकता है। डॉ. निताशा कौल के मामले में सरकार ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी बयान दिए हैं , सोशल मीडिया पर शत्रुतापूर्ण सामग्री शेयर की है और भारत की संवैधानिक संस्थाओं की आलोचना भी की है।

उच्चायोग से संपर्क करने का प्रयास विफल | UK Professor OIC Cancel

लंदन में भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने का प्रयास किया गया है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत सरकार के अनुसार, डॉ. कौल की टिप्पणियों से देश की छवि और संप्रभुता को नुकसान पहुंच रहा है। खासकर तब जब वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के आंतरिक मामलों जैसे कश्मीर, लोकतंत्र, मानवाधिकार आदि पर सवाल उठाते हैं। दूसरी ओर, डॉ. कौल और उनके समर्थकों का कहना है कि यह कदम बदले की भावना, राजनीतिक प्रतिशोध और विचारों पर सेंसरशिप को दर्शाता है।

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