Karnataka government circular: सरकार ने इस संबंध में 15 फरवरी 2025 को सर्कुलर जारी किया था। सरकार के मुताबिक यह फैसला कन्नड़ भाषा को कॉम्प्रीहेंसिव डेवलपमेंट एक्ट के तहत लिया गया है। ये 2022 में लागू किया गया था, जो 12 मार्च 2025 से प्रभाव में आएगा।
कर्नाटक सरकार ने सरकारी ऑफिस, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और बिजनेस में कन्नड़ भाषा को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है। इस कदम का मकसद प्रशासन, शिक्षा और बिजनेस से कन्नड़ भाषा को जोड़ना और बढ़ावा देना है। सरकार ने इस संबंध में 15 फरवरी 2025 को सर्कुलर जारी किया था। सरकार के मुताबिक यह फैसला कन्नड़ भाषा को कॉम्प्रीहेंसिव डेवलपमेंट एक्ट के तहत लिया गया है। ये 2022 में लागू किया गया था, जो 12 मार्च 2025 से प्रभाव में आएगा। इसका उद्देश्य कन्नड़ भाषा का व्यापक विकास के साथ स्थानीय लोगों को बेहतर अवसर देना है।
सरकार के नियम
सभी सरकारी ऑफिस, स्कूलों, कॉलेजों और व्यापार में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता दी जाएगी।
सार्वजनिक साइनबोर्ड, एडवर्टाइजमेंट और वर्क प्लेस पर कन्नड़ भाषा बोली और लिखी जाएगी।
सामानों की पैकेजिंग पर नाम और जानकारी कन्नड़ में छापना अनिवार्य होगा। यह नियम सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों के लिए है।
नियम न मानने पर होगी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने साफ किया है कि यदि कोई इंस्टीट्यूट या व्यक्ति इन निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को इस नियम के सख्ती से पालन की निगरानी करने के आदेश दिए गए हैं।
भाषा पर पहले से विवाद
कर्नाटक में लंबे समय से कन्नड़ भाषा के संरक्षण और प्रचार को लेकर आंदोलन होते रहे हैं। हाल ही में बेंगलुरु में दुकानों पर लगे गैर-कन्नड़ नेम प्लेट को लेकर प्रदर्शन हुए थे। इसके अलावा, महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच बस सेवाएं भी रोकनी पड़ी थीं, क्योंकि बसों पर कन्नड़ साइनबोर्ड नहीं लगे थे। वहीं, कर्नाटक सरकार का निर्देश ऐसे समय में आया है, जब केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर विवाद चल रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पहले ही इस पॉलिसी के विरोध में उतर चुके हैं। इस मामले पर बीजेपी और डीएमके आमने-सामने हैं।