Children E-Games Addiction: किड्स में ई-गेम्स की बढ़ती आदत: असर और समाधान

Children E-Games Addiction: डिजिटल युग में बच्चों की दिनचर्या में मोबाइल और टैबलेट गेम्स एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। ई-गेम्स की यह लत धीरे-धीरे उनकी सोच, व्यवहार, शारीरिक विकास और सामाजिक संबंधों को प्रभावित कर रही है।

तकनीक जहां बच्चों को नई चीज़ें सिखा सकती है, वहीं इसके इफेक्ट बच्चों के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे ई-गेम्स की लत के कारण, इसके दुष्प्रभाव और बच्चों से ई-गेम्केस की लत छुड़ाने के उपाय लेकिन उससे पहले ये जानना ज़रूरी है कि ई-गेम्स की लत आखिर बच्चों को क्यों लग रही है।

Children Games Addiction | बच्चों में क्यों बढ़ रही है ई-गेम्स की लत ?

  • क्योंकि डिजिटल एक्सेस की सुविधा सहित हर घर में स्मार्टफोन और इंटरनेट उपलब्धता है।
  • क्योंकि अभिभावक में माता-पिता दोनों नौकरीपेशा हैं परिणामस्वरूप वे बच्चों पर ज्यादा तवज्जो नहीं दे पा रहे।
  • क्योंकि बच्चों को आकर्षित करने के लिए गैजेट्स का सहारा लेते हैं।
  • क्योंकि इस माध्यम से इनाम और एडवेंचर की भरमार है जो गेम्स में मिलने वाले पॉइंट्स, रिवॉर्ड्स बच्चों को बांधे रखते हैं।
  • वर्किंग पैरेंट्स सोशल प्रेशर के चलते दोस्तों के बीच ट्रेंडिंग गेम्स खेलने का दबाव बनाया जाता है।

1) बच्चों पर ई-गेम्स का मानसिक असर

  • चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी जो बढ़ सकती है।
  • ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो सकती है।
  • कल्पनाशक्ति और सोचने की क्षमता सीमित होने लगती है।
    2)  बच्चों पर ई-गेम्स का शारीरिक असर
  • आंखों की रोशनी पर असर।
  • मोटापा, नींद की कमी और पीठ-दर्द जैसी समस्याएं।
  • फिजिकल एक्टिविटी में कमी।

3) बच्चों पर ई-गेम्स का सामाजिक असर

  • परिवारजनों व दोस्तों से दूरी।
  • अकेलापन व सोशल स्किल्स में गिरावट।
  • भाषा और व्यवहार में आक्रामकता।

ई-गेम्स से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के समाधान

स्क्रीन टाइम की लिमिटेशन सेट करें जिसमें पांच से बारह वर्ष के बच्चे के लिए सिर्फ एक घंटे का स्क्रीन टाइम सेट करें खासकर पढ़ाई और सोने से पहले बिल्कुल स्क्रीन से दूरी रखें और गेजेट्स का भी टाइम शेड्यूल करें।

बच्चों पर आदर्श न लादें उन्हें विकल्प दें

  • आउटडोर गेम्स, कहानियां, किताबें, म्यूजिक या आर्ट एंड क्राफ्ट जैसी रचनात्मक गतिविधियां या मोबाइल का ऑप्शन सामने रखें और इसके फायदे बता कर उन्हें कन्वेंस करें और बच्चों के साथ स्वयं समय जरुर बिताएं और उन्हें एक्टिव रखने के लिए घर की हर एक गतिविधि में उनके साथ मिलकर काम करें।

  बच्चों को केवल मना न करें  बल्कि उन्हें बताएं ई-गेम्स का सही उपयोग

  • कुछ शैक्षणिक और ब्रेन गेम्स लाभदायक हो सकते हैं ऐसे ई-गेम्स से बच्चों को जोड़े।
  • गेम्स का चुनाव सोच-समझकर करें, जिसमें बच्चों की उम्र और विषय के अनुसार ही गेम चुने।

कुछ सिखाना है तो खुद बनें बच्चों के रोल मॉडल

  • पैरेंट्स स्वयं भी मोबाइल की सीमित उपयोगिता दिखाएं।
  • बच्चों को बिना डांटे-डपटे समझाएं कि गेम्स कब और कितने समय के लिए ठीक हैं।

विशेष :- ये बात हम सभी जानते हैं कि बच्चों का भविष्य सिर्फ स्कूल और किताबों से नहीं बनता, बल्कि उनके दैनिक व्यवहार और डिजिटल आदतों से भी बनता है। ई-गेम्स पूरी तरह नुकसानदायक नहीं हैं, परंतु उनकी मात्रा और उपयोग का संतुलन बनाना बच्चों को सिखाने के लिए पैरेंट्स को बच्चों के लिए कुछ समय एक्स्ट्रा देना होगा। समय रहते जागरूक पैरेंट्स बच्चों की डिजिटल आदतों को दिशा देकर उन्हें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

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