छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिदवाड़ा में विषैले कफ सिरप से बच्चों की मौत ने प्रदेश और देश में हाहाकार मचा दिया था। कफ सिरप से बीमार बच्चों में 27 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि जाटाछापर का पांच साल का मासूम कुनाल जहरीले कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ की चपेट में आकर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था। कुनाल ने आखिरकार 115 दिन लंबी लड़ाई के बाद मौत को हरा दिया और अपने घर लौट आया। जिससे वीरान घर में खुशियों की बहार आ गई है।
27 मौतों के बीच जिंदा बची एक उम्मीद
कोल्ड्रिफ कफ जहरीले सिरप ने 27 मासूम जिंदगियों को निगल लिया लेकिन उनमें से सिर्फ तीन बच्चे ही अस्पताल से जिंदा लौट सके। इन्हीं तीन में जाटाछापर का कुनाल भी शामिल है। यही वजह है कि कुनाल की घर वापसी को लोग किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे। जानकारी के तहत 24 अगस्त को अचानक कुनाल की तबीयत बिगड़ गई थी। शुरू में इसे मामूली बीमारी समझा गया, लेकिन जांच में सामने आया कि जहरीले कफ सिरप के कारण उसकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं। हालत बिगड़ने पर 31 अगस्त को पिता टिक्कू यदुवंशी उसे नागपुर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। इसके बाद एम्स नागपुर सहित अलग-अलग अस्पतालों में उसका इलाज चलता रहा।
दुआओं, डॉक्टरों की मेहनत और कुनाल के जज्बे
जानकारी के तहत कुनाल का अस्पताल में तकरीबन 4 महीने तक ईलाज चला। इस दौरान उसे बार-बार डायलिसिस, महंगी दवाइयां और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। परिवार के लिए यह दौर काफी परेशानी से रहा। हर दिन यही डर सताता रहा कि न जाने अगला दिन क्या लेकर आएगा लेकिन दुआओं, डॉक्टरों की मेहनत और कुनाल के जज्बे ने मासूम बच्चे को एक नया जीवन दान दे दिया। नागपुर के अस्पताल से कुनाल को छुट्टी मिल गई। उसके घर पहुंचने की जानकारी लगते ही रिश्तेदारों, पड़ोसियों और शुभचिंतकों का तांता लग गया। लोग मासूम कुनाल को देखकर भावुक हो उठे।
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