Child Death in Chhindwara: छिंदवाड़ा में कफ सिरप से बच्चों की मौत का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डायएथिलीन ग्लाइकॉल युक्त कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस डीएस सिरप के कारण 6 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई, जबकि कई बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। प्रशासन ने दोनों सिरप पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है।
Chhindwara Children Death News: कोयलांचल क्षेत्र में पिछले 10 दिनों से बच्चों की लगातार मौतों से हड़कंप मचा हुआ था, जो अब एक बड़े खुलासे तक पहुंच गया है। जांच में पता चला कि बच्चों की किडनी फेल होने की वजह कफ सिरप में मौजूद हानिकारक केमिकल है। अब तक 6 मासूम अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कई बच्चे नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती हैं।
20 सितंबर से शुरू हुई त्रासदी
20 सितंबर के बाद परासिया, उमरेठ, जाटाछापर, बड़कुही और आसपास के इलाकों में बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत शुरू हुई। परिजनों ने स्थानीय डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप लेकर बच्चों को दिया। कुछ ही दिनों में बच्चों का यूरिन आना बंद हो गया, और हालत बिगड़ने पर उन्हें परासिया और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। गंभीर मामलों में बच्चों को नागपुर रेफर किया गया, जहां 6 बच्चों की मौत हो चुकी है।
कलेक्टर ने की पुष्टि, दो कफ सिरप बैन
छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल नामक केमिकल की मौजूदगी हो सकती है। इसके आधार पर जिले में Coldrif और Nextro-DS कफ सिरप की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
बायोप्सी से हुआ खुलासा
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि बच्चों की मौत किसी वायरस या महामारी से नहीं हुई। बच्चों के पानी और ब्लड सैंपल की जांच पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में की गई, जहां किसी वायरस या बैक्टीरिया की पुष्टि नहीं हुई। आईसीएमआर दिल्ली और भोपाल की टीम की जांच और बायोप्सी रिपोर्ट में कफ सिरप से किडनी खराब होने के संकेत मिले हैं।
प्रशासन की आपात बैठक
रविवार देर शाम कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला मुख्यालय में आपात बैठक हुई, जिसमें सीईओ जिला पंचायत, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेज डीन, ड्रग इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारी शामिल थे। जांच और रिपोर्ट्स के आधार पर विवादित कफ सिरप की बिक्री पर रोक का फैसला लिया गया।
माता-पिता और डॉक्टरों के लिए एडवाइजरी
प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर माता-पिता, डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों से प्रतिबंधित कफ सिरप का उपयोग या बिक्री न करने की अपील की है। परिजनों को सलाह दी गई है कि बच्चों का इलाज केवल सरकारी अस्पतालों में कराएं, जहां जांच, इलाज और रेफरल की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। निजी अस्पतालों या मेडिकल स्टोर्स से दवाएं खरीदने से बचें।
गांवों में दहशत का माहौल
उमरेठ, बड़कुही और जाटाछापर जैसे गांवों में बच्चों की मौतों से मातम और डर का माहौल है। परिजन दवाओं के प्रति आशंकित हैं। प्रशासन ने गांव-गांव में पर्चे बांटकर लोगों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है।