Chhath Puja 2024 | छठ पूजा 2024 | क्यों कहा जाता है छठ को लोकपर्व ?

Chhath Puja 2024

Chhath Puja 2024 | नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल पर! आज हम बात करेंगे एक ऐसे महापर्व के बारे में, जिसे उत्तर भारत में बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है – छठ पूजा। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द्र और एकता का भी प्रतीक है। छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हो रही है।

यह पर्व चार दिनों का है और सूर्य देवता तथा उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है, जिन्हें स्वास्थ्य, समृद्धि, और संतान की रक्षा की देवी माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, और दिवाली के बाद से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

छठ पर्व का पहला दिन होता है नहाय-खाय। इस दिन व्रतधारी लोग यानी व्रती सुबह स्नान करके अपने घरों की अच्छी तरह से सफाई करते हैं। इसके बाद वे बिना प्याज-लहसुन का बना शुद्ध भोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है शरीर और मन का शुद्धिकरण, ताकि आने वाले दिनों में पूजा के लिए तैयार हुआ जा सके।

दूसरे दिन को कहा जाता है खरना। इस दिन व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना का प्रसाद खास होता है – इसमें चावल की खीर, रोटी और फल शामिल होते हैं। इस प्रसाद को व्रती अपने परिवार और पड़ोसियों में बांटते हैं। इस दिन का उपवास और प्रसाद पारिवारिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

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छठ का तीसरा दिन सबसे खास होता है। इसे कहते हैं सांझ का अर्घ्य, जिसमें व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन घाटों और नदियों के किनारे लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और सूर्य देवता के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का मतलब है कि हम अपने जीवन की संध्या को भी उतनी ही श्रद्धा के साथ स्वीकारते हैं।

चौथे दिन, व्रत का अंतिम दिन, उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह पर्व का सबसे पवित्र और भावुक क्षण होता है, जब भक्तजन सुबह की ठंडी हवा में जल में खड़े होकर सूर्य देवता से आशीर्वाद मांगते हैं। इसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और सभी को महाप्रसाद वितरित करते हैं।

छठ महापर्व की एक खास बात यह है कि इसमें समाज के हर वर्ग और समुदाय की सहभागिता होती है। यह त्योहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक भी है। जैसे कि पटना में मुस्लिम महिलाएं मिट्टी के चूल्हे बनाती हैं, जिनपर पूजा का प्रसाद तैयार होता है। इस त्योहार के दौरान जाति और धर्म की सीमाएं टूट जाती हैं और सभी एकसाथ मिलकर छठ की तैयारियों में जुट जाते हैं।

छठ पूजा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का भी खास महत्व है। इसमें दउरा, सुथनी और गन्ना मुख्य होते हैं। दउरा, बांस से बना एक टोकरी जैसा पात्र है, जिसमें प्रसाद रखा जाता है। सुथनी, जो शकरकंद जैसा एक पवित्र कंद है, और गन्ना छठी मैया को अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि गन्ना चढ़ाने से परिवार में मिठास और समृद्धि बनी रहती है।

Chhath Puja 2024 | छठ पूजा 2024

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