महाराष्ट्र NCP (अजित पवार गुट) से बने मंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के लिए एक खुशखबरी आई है. ED ने छगन भुजबल और उनके भतीजे के खिलाफ जो याचिकाएं दायर की थी उसे वापस ले लिया है. इन याचिकाओं में ED ने 2018 में भुजबल के पक्ष में दिए गए आदेश को रद्द करने की मांग की थी. हालांकि, चौकाने वाली बात ये है कि अब छगन (Chhagan Bhujbal) भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के खिलाफ ED ने केस वापस ले लिया है, लेकिन उनके बेटे पंकज भुजबल के खिलाफ ऐसा नहीं किया गया है.
क्यों लिया गया केस वापस?
ED ने 2016 में महाराष्ट्र सदन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार किया था. तब वो शरद पवार की पार्टी NCP के साथ थे. इसके बाद भुजबल को हाईकोर्ट ने 2018 में जमानत दे दी थी. जमानत मिलने के तुरंत बाद ही 16 अक्टूबर को भुजबल को अपना पासपोर्ट नवीनीकरण करने की अनुमति दे दी गई थी और उन्हें विदेश यात्रा की भी स्वतंत्रता मिल गई थी.
ED ने हाईकोर्ट में 2018 में ही भुजबल के खिलाफ एक याचिका दायर की थी और भुजबल को मिली छूट को चुनौती दी थी. इस साल सितम्बर और अक्टूबर में जब 2018 में दायर की गई ये याचिका सुनवाई के लिए आई तो ED ने तुरंत अदालत को बताया की उन्होंने जो याचिका भुजबल (Chhagan Bhujbal) के खिलाफ दायर की थी उन्हें स्वंय ये याचिका नहीं मिल रही है.
पिछले महीने के 29 नवंबर को ED की ओर से वकील हर्ष देधिया हाईकोर्ट पहुंचकर याचिका वापस लेने की अपील की. जस्टिस आरएन लोढ़ा ने याचिका वापसी के अपील को मंजूरी दे दी और फिर कोर्ट ने इस याचिका को वापस लिया हुआ मानकर इसे खारिज कर दिया।
क्या था मामला?
बता दें की छगन भुजबल पर भ्र्ष्टाचार के कई सारे आरोप हैं. भुजबल को ED ने मार्च 2016 में गिरफ्तार किया था. 2 से भी ज्यादा साल तक भुजबल जेल में रहे थे. उनपर आरोप था कि जब वो प्रदेश के PWD मंत्री थे तब उनके द्वारा 100 करोड़ से ज्यादा के ठेके अनियमित रूप से दिए गए. जांच एजेंसी ने दावा किया कि भुजबल द्वारा उनसे जुड़ी सभी कंपनियों और ट्रस्ट को रिश्वत के बदले में ठेके दिए जाते थे. राजधानी दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण, अंधेरी में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस और मालाबार हिल में राज्य अतिथि गृह बनाने के लिए दिए गए ठेकों में गड़बड़ियां पाई गई थीं.