Blue Dogs Found In Chernobyl: रूस में मिले नीले रंग के कुत्ते! न्यूक्लियर रेडिएशन का असर?

Chernobyl Blue Dogs: रूस के अंतर्गत आने वाले चेर्नोबिल न्युक्लियर एक्सक्लूजन ज़ोन (Chernobyl Nuclear Exclusion Zone) से सामने आई तस्वीरें चौंकाने वाली हैं, जहां कुत्तों (Chernobyl Dogs) की फर नीले रंग (Chernobyl Dogs Blue Fur) की हो रही है। 29 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ये कुत्ते, जो चेर्नोबिल आपदा (Chernobyl Disaster) के बाद वहां रहने लगे, अब अपने अनोखे रंग के कारण वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों (Scientists and Environmentalists) का ध्यान खींच रहे हैं।

क्या है मामला?

रिपोर्ट के अनुसार, चेर्नोबिल के कुत्तों की फर अचानक नीले रंग की हो रही है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। ये कुत्ते, जो 1986 की न्युक्लियर डिजास्टर (Chernobyl Nuclear Disaster) के बाद वहां रहने लगे, अब स्थानीय केयरटेकर्स और रिसर्चर्स के लिए पहेली बन गए हैं। तस्वीरों में इन कुत्तों को पूरी तरह नीले रंग की फर के साथ देखा गया है, जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है।

कुत्तो पर रेडिएशन का असर?

Effect of radiation on dogs in Chernobyl: वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बदलाव रेडिएशन एक्सपोजर के लंबे समय तक असर का परिणाम हो सकता है। चेर्नोबिल एक्सक्लूजन ज़ोन में रेडिएशन लेवल अभी भी उच्च है, और इसका असर वन्यजीवों पर पड़ रहा है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह रंग बदलाव रासायनिक प्रदूषण का भी परिणाम हो सकता है, जो ज़ोन में मौजूद है।

डॉग्स ऑफ चेर्नोबिल (Dogs of Chernobyl), एक गैर-सरकारी संगठन, ने इन कुत्तों की तस्वीरें शेयर कीं और कहा, “हमने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। ये कुत्ते पिछले हफ्ते तक सामान्य रंग के थे, लेकिन अब उनकी फर नीले रंग की हो गई है। हम इन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि क्या हो रहा है।” संगठन ने यह भी कहा कि ये कुत्ते अभी भी “एक्टिव और हेल्दी” (Active and Healthy) लग रहे हैं।

इन तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया, जहां #ChernobylDogs और #BlueFur ट्रेंड करने लगे। यूज़र्स ने अपनी राय दी, कुछ ने इसे “रेडिएशन का असर” बताया, जबकि अन्य ने इसे “फोटोशॉप” (Photoshop) करार दिया।

वैज्ञानिकों ने कहा कि वे इन कुत्तों पर अध्ययन करेंगे ताकि पता लगाया जा सके कि उनका रंग बदलाव क्यों हो रहा है। डॉ. ओल्गा शावलोवा (Dr. Olga Shavolova), एक पर्यावरण विशेषज्ञ, ने कहा, “यह रेडिएशन के लंबे समय तक असर का संकेत हो सकता है, लेकिन हमें और रिसर्च की जरूरत है।”

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