Deepseek banned : चीनी AI चैटबॉट डीपसीक ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन अब इसे कई देशों में बैन का सामना करना पड़ रहा है। इनमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और हाल ही में दक्षिण कोरिया शामिल हैं। इन देशों ने सुरक्षा और डेटा प्रथाओं, खासकर सरकारी उपकरणों पर इसके इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है।
दक्षिण कोरिया में भी बैन किया गया deepseek
दक्षिण कोरिया ने हाल ही में अपने रक्षा मंत्रालय की घोषणा के बाद सरकारी इंटरनेट से जुड़े सैन्य कंप्यूटरों से डीपसीक को ब्लॉक कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि सैन्य कामकाजी पीसी में डीपसीक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है, खासकर सुरक्षा कारणों से। यह कदम दक्षिण कोरिया के व्यक्तिगत सूचना संरक्षण आयोग (PIPC) द्वारा चीनी AI कंपनी से यूजर की जानकारी के प्रबंधन पर स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद उठाया गया है।
भारत में सरकारी दफ्तरों में AI टूल्स पर रोक। Deepseek banned
भारत सरकार ने भी डीपसीक और चैटजीपीटी समेत सभी AI टूल और ऐप को सरकारी दफ्तरों और उपकरणों पर इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार का कहना है कि इन टूल के इस्तेमाल से सरकारी डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता को खतरा हो सकता है। सरकार को स्पष्ट निर्देश था कि ऐसे टूल का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारियों के कंप्यूटर पर नहीं किया जाएगा।
अमेरिका ने भी लगाया DeepSeek पर प्रतिबंध।
अमेरिका ने अपनी नौसेना को भी डीपसीक के इस्तेमाल से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा टेक्सास राज्य ने डीपसीक पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को डेटा हैकिंग के जरिए अमेरिकी महत्वपूर्ण संरचनाओं में घुसपैठ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ताइवान में सरकारी दफ्तरों में प्रतिबंधित। Deepseek banned
ताइवान ने भी सरकारी कर्मचारियों के लिए डीपसीक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्रालय ने इसे चीनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पाद के रूप में वर्गीकृत किया और चेतावनी दी कि इसका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है। मंत्रालय ने प्रतिबंध को सरकारी एजेंसियों, स्कूलों और राज्य द्वारा संचालित संस्थानों तक बढ़ा दिया है।
इटली में भी deepseek पर प्रतिबंध। Deepseek banned
इटली डीपसीक पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले देशों में से एक था। सरकार ने डेटा लीक के जोखिम के कारण इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि लाखों इतालवी नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। इतालवी प्राधिकरण ने इस मामले में चीनी कंपनियों से व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, स्रोतों और उद्देश्य पर स्पष्टीकरण मांगा था।
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