गौमूत्र जिसका नाम भारत में हमेशा से विवादित रहा है क्योंकि कुछ लोग इसका सेवन करके कई रोगों को दूर करने का दावा करते हैं तो वही कुछ लोग इसे कुछ नहीं समझते सिवाए वेस्ट के। इसके अलावा मानने वाले इसको, इससे बने प्रोडक्ट्स को कंज़्यूम भी करते हैं तो बाकियों के मन में इसे लेकर एक घिन है। ऐसे ही भारत में इसे लेकर अलग अलग मानने वालो के बीच विवाद भी होता रहता है। जैसे हाल ही में फिर से इसके सेवन के फायदों को लेकर एक तीखी बहस छिड़ चुकी है।
IIT मद्रास के डायरेक्टर ने गोमूत्र के बताए फायदे :
इस बार IIT मद्रास के डायरेक्टर ने गोमूत्र पर ऐसी बात कही है, जिसको लेकर कई सवाल उठ गए… बता दें IIT मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह गोमूत्र के औषधीय गुणों की कथित तौर पर सराहना करते देखे जा सकते हैं।
दरसल IIT मद्रास के डायरेक्टर कामकोटि ने मंगलवार को मट्टू पोंगल के दिन गो संरक्षण शाला में आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण दिया जिसमें. उन्होंने कथित तौर पर गोमूत्र के एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और पाचन सुधार गुणों के बारे में बात की और कहा कि यह बड़ी आंत से जुडी बीमारी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्याओं में फायदेमंद है साथ ही उन्होंने इसके औषधीय गुण पर सोचने की भी तरफदारी की।
इसी के साथ उन्होंने एक सन्यासी का किस्सा भी शेयर किया जिसमें उन्होंने बताया की एक सन्यासी को बहुत ही तेज़ बुखार था जिसके बाद उसने गौमूत्र पी लिया और मात्र 15 मिनट के अंदर उसकी बुखार ठीक भी हो गयी।
बयान पर राजनीतिक विवाद शुरू :
कामकोटि के गौ मूत्र संबंधी इसी बयान पर अब राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। उनकी इस बात को लेकर कई पार्टियों के नेताओ की प्रतिक्रिया भी सामने आयी है। इसके लिए कांग्रेस नेता कार्ति पी. चिदंबरम ने कामकोटि की टिप्पणी की निंदा की और कहा कि IIT मद्रास के निदेशक द्वारा इस तरह की बात का प्रचार किया जाना अनुचित है .
इसके अलावा डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, केंद्र सरकार की मंशा देश में शिक्षा को खराब करने की है …वहीँ थानथई पेरियार द्रविड़ कड़गम के नेता के. रामकृष्णन ने इसपर कहा कि कामकोटि को अपने दावे के लिए सबूत देना चाहिए या माफी मांगनी चाहिए. उनका कहना है की, अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी तो हम उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। …..इसके अलावा डॉक्टर्स एसोसिएशन फॉर सोशल इक्वेलिटी’ के डॉ. जीआर रवींद्रनाथ ने कहा कि गोमूत्र के सेवन से जीवाणु संक्रमण हो सकता है, यह एक वैज्ञानिक सत्य है. उन्होंने अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना भी की।
वहीँ प्रोफ़ेसर को इस तमाम राजनितिक घेरे में लेने पर भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष अन्नामलाई ने इसकी कड़ी निंदा भी की। उन्होंने कहा कि आईआईटी के शीर्ष प्रोफेसर की टिप्पणी उनके व्यक्तिगत रुख को दर्शाती है और उन्होंने न तो कक्षा में इसके बारे में व्याख्यान दिया और न ही दूसरों को गोमूत्र पीने के लिए कहा. वह जैविक खेती और देसी नस्लों के संरक्षण पर बात कर रहे थे जो कि आज के दौर में जरूरी भी है।
प्रोफ़ेसर ने रखे थे अपने व्यक्तिगत विचार :
इन तमाम रजनीतिक बहस पर कामकोटि से जुड़े लोगों का कहना है उन्होंने गोशाला कार्यक्रम में अपने व्यक्तिगत विचार रखे थे. और उनकी टिप्पणियां व्यापक संदर्भ में थीं। वैसे प्रोफ़ेसर कामकोटि ने अपनी बातों में गौ मूत्र के मात्र फायदे बताये थे न ही उन्होंने लोगों को इसको अपने घर में रखने को बोला था और न ही किसी को पीने को पर फिर भी लोगों ने उनकी बात को सुनकर यही बोला की वो कोई डॉक्टर नहीं है तो ये सब ज्ञान क्यों दे रहे हैं।
धर्म और खेती के करीब हैं प्रोफ़ेसर कामकोटि :
बता दें की कामकोटि एक बहुत ही धार्मिक इंसान है साथ ही वह खुद जैविक खेती करने वाले एक किसान भी हैं और उन्होंने अपने बयान में सिर्फ गौमूत्र को लेकर ही बात नहीं की बल्कि उन्होंने गायों की रक्षा के लिए गो संरक्षण पर जोर भी दिया। साथ ही उन्होंने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती पर भी फोकस किया और इसके कई फायदे भी बताए। पर उनकी सारी बातों को छोड़कर एक बात को पकड़ लिया गया और उनपर सियासत शुरू कर दी गयी।