Chandra Grahan 2025 : चंद्र ग्रहण-पितृपक्ष दुर्लभ संयोग, जानें सूतक काल व शुभ मुहूर्त

Chandra Grahan 2025

Chandra Grahan 2025 – हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) और पितृ पक्ष (Pitru Paksha) दोनों का ही विशेष महत्व है। जब ये दोनों संयोग एक साथ आते हैं, तो यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद प्रभावशाली माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है और इसमें श्राद्ध, तर्पण और दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं, ग्रहण काल और सूतक काल को अशुभ समय मानते हुए कुछ कार्यों पर रोक लगाई जाती है। इस वर्ष चंद्र ग्रहण और पितृ पक्ष का दुर्लभ मेल होने जा रहा है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि इस समय हमें क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

चंद्र ग्रहण 2025 की तिथि और सूतक काल

  • ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है।
  • इस बार दोपहर 12:58 बजे से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा।
  • सूतक काल ग्रहण समाप्त होने तक प्रभावी रहेगा।
  • इस अवधि में पूजा-पाठ, विवाह, हवन और अन्य शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

ग्रहण से पहले क्या करें ?
तर्पण और श्राद्ध – पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान का विशेष महत्व होता है। चूंकि सूतक काल में यह कार्य नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे ग्रहण से पहले ही पूरा कर लेना चाहिए।

  • दोपहर 12:58 बजे से पहले तर्पण कर लें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल, तिल और कुश का प्रयोग करें। दान-पुण्य का महत्व
  • ग्रहण से पहले जरूरतमंदों को भोजन कराना, वस्त्र दान करना और गौ-सेवा करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि ग्रहण से पहले किया गया दान कई गुना फल देता है।

सूतक और ग्रहण के दौरान क्या करें ?
मंत्र जाप और ध्यान – ग्रहण काल में पूजा-पाठ निषेध है, लेकिन मंत्र जाप करना शुभ माना गया है जैसे –

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
  • “ॐ नमः शिवाय”
  • या फिर पितरों के निमित्त विशेष मंत्रों का जाप करें। इससे घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

पितरों का स्मरण – सूतक काल में शांत होकर पूर्वजों को याद करें और प्रार्थना करें। मान्यता है कि इस समय पूर्वजों की आत्मा आपके आशीर्वाद हेतु समीप रहती है।

ग्रहण समाप्ति के बाद क्या करें ? – “कपूर और दीपक जलाएं

  • घर के आंगन या पीपल के नीचे तिल का दीपक जलाएं।
  • कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दान और अन्न वितरण
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या भोजन कराएं।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान को सर्वोत्तम माना गया है।

पशु-पक्षियों को कराएं भोजन

  • गाय, कुत्ते, कौवे और चिड़ियों को रोटी व अन्न खिलाएं।
  • यह पितरों को प्रसन्न करने का प्रतीक माना गया है।

ग्रहण और पितृ पक्ष में क्या न करें ?
शुभ कार्य न करें – विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सूतक काल में निषेध हैं।
खाना न बनाएं – ग्रहण काल में भोजन बनाना और खाना वर्जित है।
मंदिर न जाएं – ग्रहण और सूतक काल में मंदिर दर्शन से बचें।
नकारात्मक स्थानों से दूरी रखें – श्मशान, निर्जन या ऊर्जाहीन स्थानों पर न जाएं।
बाल-दाढ़ी न बनवाएं – पितृ पक्ष के दौरान बाल कटवाना अशुभ माना जाता है।

धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मान्यताएं

  • धार्मिक मान्यता – चंद्र ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती हैं, इसलिए भोजन, पूजा और शुभ कार्य निषेध हैं।
  • वैज्ञानिक कारण – ग्रहण काल में वातावरण में परिवर्तन होता है, सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि होती है और भोजन पर इनका असर पड़ता है। यही कारण है कि भोजन न बनाने और न खाने की परंपरा वैज्ञानिक रूप से भी उचित मानी जाती है।

विशेष – Conclusion – चंद्र ग्रहण और पितृ पक्ष का मेल अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली समय है। इस दौरान शास्त्रों का पालन करने से न केवल पितरों की आत्मा की शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है।

  • सूतक काल से पहले तर्पण और दान अवश्य करें।
  • ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और ध्यान करें।
  • ग्रहण समाप्ति के बाद दान, दीपदान और पशु-पक्षियों को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह परम्पराएं हमारी जीवन शैली को सकारात्मक और अनुशासित बनाती हैं।

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