ऐसे व्यक्ति जीवन में हमेशा करते हैं दुख का सामना , सुख रहता है कोसों दूर

Chanakya Niti Lessons For Life

Chanakya Niti Lessons For Life : प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार ही उसके जीवन के सुख-दुख का आधार बनता है । आमतौर पर जिस प्रकार का व्यवहार हम करते हैं उसी प्रकार का फल हमें मिलता है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए आचार्य चाणक्य ने भी चाणक्य नीति में कुछ ऐसे उपदेशों का वर्णन किया है जिनके माध्यम से यह आंकलन लगाया जा सकता है कि कौन सा व्यक्ति जिंदगी में दुखों को भोगने वाला है।

Chanakya Niti Lessons For Life
Chanakya Niti Lessons For Life

आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई Chanakya niti में आचार्य चाणक्य ने क्या बताया है कि किस प्रकार व्यक्ति कुछ आम नियमों का पालन करते हुए व्यक्तिगत विकास कर सकता है और ऐसा व्यक्ति हमेशा सुख भोगता है । परंतु यदि व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है तो ऐसे व्यक्ति को हमेशा दुख भोगने पड़ते हैं आईए जानते हैं कौन से हैं Chanakya niti के यह नियम

कौन से व्यक्ति तरस जाते हैं सुख के लिए

विद्वानों और ज्ञानियों की निंदा करने वाले : ऐसे व्यक्ति जो विद्वान और ज्ञानियों की निंदा करते हैं, उनकी बुद्धिमानी का मजाक बनाते हैं ऐसे व्यक्ति कभी भी ज्ञान हासिल नहीं कर पाते हैं और ऐसे व्यक्ति जीवन भर केवल दुख भोगते हैं क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के लिए ज्ञान की बातें व्यर्थ होती है।

अपने से समझदार की आलोचना करने वाले : ऐसे व्यक्ति जो अपने से समझदार व्यक्तियों की सदैव आलोचना करते हैं ऐसे व्यक्ति भी जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं । आचार्य चाणक्य के अनुसार वे व्यक्ति जो दूसरों के केवल अवगुण देखते हैं और गुणों को अनदेखा कर देते हैं इस प्रकार के व्यक्ति जीवन में कभी भी सुखी नहीं रहते।

शास्त्र ज्ञाता को पाखंडी ढोंगी बताने वाले : ऐसे व्यक्ति जो शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार चलने वाले लोगों को पाखंडी और ढोंगी बताते हैं और उनके द्वारा बनाए गए नियमों को ढकोसला घोषित करते हैं ऐसे व्यक्ति भी जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाते। इस प्रकार के व्यक्ति जीवन की परिभाषा को समझ नहीं पाते और जीवन को गलत तरीके से जीना शुरु करते हैं जिसकी वजह से ऐसे व्यक्तियों को हमेशा केवल परेशानियों और संकट का ही सामना करना पड़ता है।

शांतचित्त और चुप मनुष्यों को कायर कहने वाले : वे मनुष्य जो शांतचित्त और चुप रहने वाले मनुष्यों को कायर कहते हैं ऐसे व्यक्ति भी कभी भी सुखी नहीं रह पाते । ऐसे व्यक्तियों को हमेशा शांत और प्रसन्नचित व्यक्तियों को दुख देने में आनंद मिलता है जिसकी वजह से ऐसे व्यक्ति स्वयं ही दुखी रहने लगते हैं। आचार्य चाणक्य ने बताया है की शांतचित्त और प्रसन्नचित व्यक्ति को निंदा से कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु उनकी निंदा करने वाला व्यक्ति सदैव नकारात्मकता को अपनी और आकर्षित करता है।

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