Chanakya Niti For Students: चाणक्य जिन्हें हम कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं जो प्राचीन भारत के मशहूर रणनीतिकार, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और नीति शास्त्र विशेषज्ञ थे उनके द्वारा बताए गए महत्वपूर्ण सूत्र आज भी काफी व्यावहारिक सिद्ध होते हैं।आज भी यदि कोई व्यक्ति चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियों का पालन करें तो उन्हें निश्चित रूप से ही जीवन में कामयाबी मिलती है। आज के इस लेख में हम आपको विद्यार्थी जीवन के दौरान पालन किए जाने वाले कुछ नीतियों (safalta par chanakya ke vichar) के के बारे में बताने वाले हैं जिनका पालन करते हुए छात्र आसानी से सफलता हासिल कर सकते हैं।

चाणक्य नीति से किस प्रकार पाएं छात्र जीवन में सफलता
यदि कोई छात्र चाणक्य द्वारा बताए गए कुछ आसान नियमों का पालन करें तो वह जीवन भर गलत फैसले लेने से बचता है और विद्यार्थी जीवन के साथ-साथ अपने करियर में भी सफलता हासिल करता है। आईए जानते हैं चाणक्य द्वारा सुझाई गये कुछ आसान नियम जिनसे विद्यार्थी जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।
समय पर करें सभी कार्य पूरे: चाणक्य नीति के अनुसार यदि विद्यार्थी अपने सारे काम समय पर पूरे करते हैं तो उन्हें भविष्य को लेकर अनिश्चितता नहीं सताती साथ ही प्लानिंग से किए हुए काम में सफलता भी मिलती है।
अनुशासन का पालन: विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन का पालन करना शुरू कर देना चाहिए ताकि भविष्य में यह आदत बन जाए और अपने लक्ष्य की प्राप्ति आसानी से की जा सके।
बुरी संगत से बचाव: छात्रों को हमेशा गलत संगत से स्वयं का बचाव करना चाहिए क्योंकि गलत संगत की वजह से समय और लक्ष दोनों ही बर्बाद हो जाते हैं।
आलस का त्याग: छात्रों को हमेशा आलस और टालम टाली से बचना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से निर्णय कमजोर पड़ने लगते हैं और काम समय पर पूरे नहीं हो पाएगे।
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क्रोध पर नियंत्रण: छात्रों को हमेशा क्रोध करने से बचना चाहिए क्योंकि क्रोध की वजह से ज्ञान समाप्त हो जाता है और सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऐसे में छात्रों के लिए क्रोध सबसे ज्यादा हानिकारक सिद्ध होता है।
इंद्रियों पर रखें नियंत्रण: छात्रों को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए।नींद के साथ-साथ ज्यादा भोजन, ज्यादा बातें इत्यादि से बचना चाहिए अन्यथा पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता।
हंसी मजाक से रहे दूर: छात्र जीवन में थोड़ा बहुत हंसी मजाक ठीक है परंतु अत्यधिक हंसी मजाक करने की वजह से पढ़ाई से ध्यान भटकने लगता है। ज्यादा हंसी मजाक कई बार मतभेद का विषय भी बन जाते हैं जिसकी वजह से पढ़ाई से छात्र दूर होकर गलत बातों में उलझने लगते हैं।