Raghuvar Das resigned : रघुवर दास ने राजनीति में आने का फैसला भाजपा पर छोड़ दिया है। पुरी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दास ने कहा है कि भाजपा आलाकमान का जो भी फैसला होगा, मैं उसे स्वीकार करूंगा और आगे काम करूंगा। सवाल यह उठ रहा है कि अगर दास राजनीति में आते हैं तो क्या वह झारखंड की राजनीति करेंगे या दिल्ली की? ओडिशा में राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद रघुवर दास को लेकर दिल्ली से लेकर रांची तक राजनीतिक अटकलों का दौर जारी है। दास का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब भारतीय जनता पार्टी राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन चुनाव करा रही है। राज्यपाल नियुक्त होने से पहले रघुवर दास भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुके हैं।
रघुवर दास की चर्चाओं से गरमाई सियासत। Raghuvar Das resigned
रघुवर दास को 31 अक्टूबर 2023 को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उन्होंने महज 14 महीने में ही इस्तीफा दे दिया है। दास का इस्तीफा झारखंड में चुनाव के ठीक बाद और संगठन चुनाव से पहले हुआ है। यही वजह है कि दास को लेकर राजनीतिक चर्चाएं हो रही हैं। मजदूर संघ से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले दास संगठन के नेता माने जाते हैं। 2014 में झारखंड में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी. इस जीत में संगठन स्तर पर दास की बड़ी भूमिका रही. इसके बाद दास को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई. हालांकि, 2019 में दास सफल नहीं हो सके. मुख्यमंत्री रहते हुए दास अपनी विधानसभा सीट बड़े अंतर से हार गए. इसके बाद दास को केंद्रीय संगठन में तैनात किया गया. 2023 में दास को राज्यपाल का पद मिला।
क्या केंद्र की राजनीति करेंगे Raghuwar Das?
फिलहाल रघुवर दास को लेकर पूरी तस्वीर साफ नहीं है. दास ने अभी बीजेपी में शामिल होने को लेकर कुछ नहीं कहा है. हालांकि, कहा जा रहा है कि वे बीजेपी में शामिल होकर आगे की राजनीति कर सकते हैं. बीजेपी में इससे पहले भी नेता राज्यपाल पद से हटने के बाद संगठन की राजनीति करते रहे हैं. आपको बता दें कि उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य भी अभी यूपी सरकार में मंत्री हैं. झारखंड में हार के बाद से बीजेपी के संगठन में 2024 में बड़ा खालीपन है. पार्टी को झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक का चयन करना है. प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा था कि जनवरी के तीसरे सप्ताह तक इन पदों पर चयन हो जाएगा।
सियासत में आने को लेकर कई तरह की अटकलें?
राज्यपाल बनने से पहले रघुवर दास भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। उपाध्यक्ष के तौर पर दास ने संगठन के जरिए कई राज्यों में भाजपा की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। अब नई भूमिका के बारे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दास ने कहा है कि यह फैसला भाजपा आलाकमान को लेना है। जगन्नाथ पुरी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दास ने कहा कि पार्टी जो भी फैसला लेगी, उसे वह स्वीकार करेंगे और आगे काम करेंगे। हालांकि, अब तक जितने भी राज्यपाल सक्रिय राजनीति में आए हैं, वे सभी राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रहे हैं।
छात्र राजनीति से शुरू हुआ राजनीतिक करियर। Raghuvar Das resigned
रघुवर दास ने अपने करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। उन्होंने जमशेदपुर विश्वविद्यालय की मांग को लेकर 1977 के आसपास आंदोलन किया था। 1977 में वे जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि, 3 साल बाद ही वे जनता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। रघुवर दास 1980 में भाजपा में शामिल हुए थे। उस समय उन्हें सीताराम डेरा मंडल की कमान सौंपी गई थी। दास इसके बाद जमशेदपुर संगठन में सक्रिय हो गए और यहां कई पदों पर रहे। 1995 में दास पहली बार जमशेदपुर पूर्वी सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने लगातार 5 बार इस सीट पर जीत दर्ज की।
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