Jammu and Kashmir : मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देगी। इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य की अब्दुल्ला सरकार के बीच सहमति बन गई है। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए मोदी सरकार इस साल नवंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाएगी। हालांकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 23 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह और 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान उमर ने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया था। उन्हें इसी साल राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया गया था।
पहली कैबिनेट बैठक के बाद एलजी के पास भेजा गया था प्रस्ताव।
साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। उस समय ही सरकार ने राज्य में हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था। हाल ही में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसे दोहराया था। चुनाव के बाद बनी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित कर उपराज्यपाल (एलजी) को भेजा गया था। एलजी मनोज सिन्हा ने 19 अक्टूबर को प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद गृह मंत्रालय को भेज दिया था।
उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को लेकर की मोदी शाह से मुलाकात। Jammu And Kashmir
आपको बता दें उमर अब्दुल्ला ने जैसे ही सीएम पद की शपथ ली उसके बाद से जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली जाकर ग्रह मंत्री अमित शाह ओर पीएम मोदी से मुलाकात की इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को एक प्रस्ताव सौंपकर केंद्र शासित प्रदेश का राज्य का दर्जा जल्द बहाल करने की मांग की थी। 30 मिनट से अधिक चली बैठक में अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से जम्मू-कश्मीर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें मौजूदा सुरक्षा स्थिति और विकास कार्य शामिल थे।
राज्य का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है। Jammu And Kashmir
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर यूटी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर दो महीने में सुनवाई करने पर सहमति जताई। जहूर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने यह याचिका दायर की है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वह इस पर सुनवाई करेंगे।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुआ राज्य में पहला विधानसभा चुनाव।
आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पिछले महीने (सितंबर) राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। तीन चरणों में हुए चुनाव का नतीजा 8 अक्टूबर को आया था। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पार्टी को 42 सीटें मिली थीं। एनसी की सहयोगी कांग्रेस ने 6 और सीपीआई (एम) ने एक सीट जीती थी। जबकि बीजेपी 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं, पीडीपी को सिर्फ 3 सीटें मिलीं। पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बिजबेहरा सीट से हार गईं।