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Celebi और DragonPass पर भारत का बड़ा एक्शन: राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर करार खत्म

भारत सरकार और अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के आधार पर तुर्की (Turkiye) की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया (Celebi Airport Services India) और चीन की कंपनी ड्रैगनपास (DragonPass) के साथ अपने करार तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिए हैं। यह फैसला हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव और तुर्की व चीन की भूमिका को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है। सेलेबी, जो देश के नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं (Ground Handling Services) देती थी, अब इन हवाई अड्डों पर काम नहीं कर सकेगी। वहीं, ड्रैगनपास के ग्राहक अब अडानी द्वारा संचालित हवाई अड्डों के लाउंज (Airport Lounges) का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। आइए जानते हैं इस फैसले की पूरी कहानी।

सेलेबी का सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द: क्या है मामला?

भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया का सिक्योरिटी क्लीयरेंस (Security Clearance) रद्द कर दिया। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने अपने आदेश में कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सेलेबी का सिक्योरिटी क्लीयरेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।” यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद तुर्की के पाकिस्तान समर्थन और भारत में ‘बायकॉट तुर्की’ (Boycott Turkey) की मांग के बीच लिया गया है।

सेलेबी, जो इस्तांबुल स्थित सेलेबी एविएशन होल्डिंग (Celebi Aviation Holding) की भारतीय इकाई है, 2008 से भारत में काम कर रही थी। यह कंपनी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, कोचिन, कन्नूर, अहमदाबाद, और चेन्नई जैसे नौ प्रमुख हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं देती थी। इन सेवाओं में यात्री हैंडलिंग (Passenger Handling), उड़ान संचालन (Flight Operations), कार्गो प्रबंधन (Cargo Management), और एरोब्रिज संचालन (Aerobridge Operations) शामिल हैं। कंपनी का दावा है कि यह सालाना 58,000 उड़ानों और 5.4 लाख टन कार्गो को हैंडल करती थी, और 10,000 से अधिक भारतीयों को रोजगार देती थी।

सेलेबी ने अपने बयान में कहा कि वह तुर्की की कंपनी नहीं है, बल्कि 65% हिस्सेदारी कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, यूएई, और पश्चिमी यूरोप के संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) के पास है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन की बेटी सुमेये एर्दोगन (Sumeyye Erdogan) का इससे कोई संबंध नहीं है। तुर्की की हिस्सेदारी सिर्फ संस्थापक सेलेबीओलु परिवार (Celebioglu Family) तक सीमित है, जिसमें कैन सेलेबीओलु और कैनन सेलेबीओलु के पास 17.5% हिस्सेदारी है। फिर भी, सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया।

अडानी ने तोड़ा ड्रैगनपास से करार

इसी बीच, अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स (Adani Airport Holdings) ने चीन की कंपनी ड्रैगनपास के साथ अपनी साझेदारी खत्म कर दी। यह करार 8 मई को अडानी डिजिटल लैब्स (Adani Digital Labs) और ड्रैगनपास के बीच हुआ था, जिसके तहत ड्रैगनपास के ग्राहकों को अडानी द्वारा संचालित हवाई अड्डों के लाउंज में प्रवेश मिलना था। ड्रैगनपास, जो ग्वांगझू, चीन में मुख्यालय वाली कंपनी है, दुनिया भर के 1,300 से अधिक हवाई अड्डों पर लाउंज और यात्रा सेवाएं (Travel Services) प्रदान करती है।

अडानी ने अपने बयान में कहा, “ड्रैगनपास के साथ हमारा करार तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया है। ड्रैगनपास के ग्राहक अब अडानी द्वारा संचालित हवाई अड्डों के लाउंज में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।” कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बदलाव का अन्य यात्रियों के लाउंज अनुभव (Lounge Experience) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अडानी सात प्रमुख हवाई अड्डों—मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी, मंगलुरु, और तिरुवनंतपुरम—का संचालन करती है।

अडानी ने ड्रैगनपास के साथ करार खत्म करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, लेकिन माना जा रहा है कि यह फैसला हाल के भारत-चीन तनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा है। खासकर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन के ड्रोन हमलों में पाकिस्तान का समर्थन करने की खबरों ने इस फैसले को गति दी।

अडानी ने सेलेबी के साथ भी खत्म किया करार

सेलेबी के सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द होने के बाद अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (CSMIA) और अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (SVPIA) पर सेलेबी के साथ ग्राउंड हैंडलिंग करार (Ground Handling Agreements) तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिए। अडानी ने सेलेबी को सभी ग्राउंड हैंडलिंग सुविधाएं सौंपने का निर्देश दिया है, ताकि हवाई अड्डों का संचालन बिना रुकावट जारी रहे।

इस फैसले का क्या असर होगा?

इस दोहरे एक्शन—सेलेबी का सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द और ड्रैगनपास के साथ करार खत्म—का भारतीय एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) पर बड़ा असर पड़ सकता है। सेलेबी के नौ हवाई अड्डों पर सेवाएं बंद होने से ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो प्रबंधन में अस्थायी रुकावट आ सकती है। हालांकि, अडानी और अन्य हवाई अड्डा संचालक इस कमी को पूरा करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं। ड्रैगनपास के ग्राहकों को अब अडानी के हवाई अड्डों पर लाउंज सुविधा नहीं मिलेगी, लेकिन अन्य लाउंज प्रोग्राम्स के जरिए यात्रियों को कोई असुविधा नहीं होगी।

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल (Murlidhar Mohol) ने कहा कि देश भर से सेलेबी को प्रतिबंधित करने की मांगें मिल रही थीं। यह फैसला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और विदेशी कंपनियों पर नजर रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या कह रहे हैं लोग?

इस फैसले ने सोशल मीडिया और जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कुछ लोग इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इससे हवाई अड्डों पर सेवाओं में देरी हो सकती है। एक यात्री, रमेश शर्मा ने कहा, लाउंज एक्सेस खत्म होने से कुछ असुविधा होगी, लेकिन देश की सुरक्षा पहले है। वहीं, एविएशन विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को जल्दी ही सेलेबी की जगह नई कंपनियों को लाना होगा, ताकि हवाई अड्डों का संचालन सुचारू रहे।

यह फैसला भारत के कड़े रुख को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहता। सेलेबी और ड्रैगनपास के साथ करार खत्म होने के बाद अब नजर इस बात पर है कि हवाई अड्डों पर सेवाएं कैसे प्रबंधित की जाएंगी। ताजा अपडेट्स के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स की घोषणाओं पर नजर रखें

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