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कैश कांड वाले Justice Yashwant Verma अब न्याय की दुहाई देने लगे

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कैश कांड (Yashwant Verma Cash Kand) केस में खुद को दोषी ठहराने वाली जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है।

जस्टिस वर्मा ने गुरुवार को अपील में कहा, ‘उनके खिलाफ जो कार्यवाही की गई, वह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्हें खुद को साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया। ऐसी कार्यवाही में एक व्यक्ति और एक संवैधानिक अधिकारी दोनों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।’

यह याचिका संसद के मानसून सत्र (Monsoon session of Parliament) शुरू होने से पहले आई है। सेशन के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) पेश किया जा सकता है।

जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस की जांच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था।

कैश कांड को लेकर चली 10 दिनों तक की जांच में 55 गवाहों से पूछताछ हुई और यशवंत वर्मा के सरकारी आवास का दौरा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।

मानसून सत्र में महाभियोग तय

जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए लोकसभा सांसदों के साइन जुटाए जा रहे हैं, कई सांसदों के दस्तखत लिए जा चुके हैं। मानसून सत्र के दौरान प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन जरूरी होंगे। वहीं, राज्यसभा में यह संख्या 50 सांसदों की ज़रूरत होगी। लेकिन अब तक कितने सांसदों ने साइन किए हैं, उसकी जानकारी नहीं सामने नहीं आई है.

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