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Shimla Agreement | शिमला समझौता को रद्द करना, पाकिस्तान को ही पड़ सकता है भारी

India Benefits From Cancellation Of Shimla Agreement: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु नदी जल समझौता स्थगित कर दिया। जिसके बाद पाकिस्तान ने भी 1972 में हुए शिमला समझौते स्थगित कर दिया।

लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं शिमला समझौता के स्थगन से भारत को तो नुकसान नहीं होगा लेकिन इसके उलट यह निलंबन पाकिस्तान पर ही भारी पड़ सकता है।

अब भारत लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कर सकता है

इस समझौते के क्लॉज 4 के अनुसार 17 दिसंबर 1971 में हुए सीजफायर के बाद दोनों ही देश लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) का सम्मान करेंगे। कोई भी पक्ष इसे इकतरफा बदलने की कोशिस नहीं करेगा। और वापस अपने-अपने इलाके में वापस लौट जाएंगे। एक्सपर्ट कहते हैं पाकिस्तान के द्वारा स्थगित शिमला समझौते के बाद, भारत चाहे तो सीमा पर बदलाव कर सकता है और लाइन ऑफ कंट्रोल को भी पार कर सकता है।

सीमा पार आतंकवादियों पर सैन्य कार्यवाई कर सकता है भारत

शिमला समझौते के क्लॉज 1 के तहत दोनों देश शांतिपूर्ण तरीके से अपने विवादों को सुलझाएंगे और कोई एकतरफा कदम नहीं उठायेंगे। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं, भारत पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध सीमा पर के आतंकवादियों के कैंप्स पर सैन्य कार्यवाई भी कर सकता है, क्योंकि अब उस पर संधि तोड़ने का उसके उल्लंघन का आरोप भी नहीं लगेगा।

विश्व के दूसरे देश आ सकते हैं भारत के पक्ष में

दरसल शिमला समझौते के अनुसार भारत और पाकिस्तान अपने मुद्दे बिना किसी देश के दखल के बिना सुलझाएंगे। जब यह समझौता हुआ था पाकिस्तान के अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों से बड़े अच्छे संबंध थे।लेकिन अब जब समझौता निलंबित है तो भारत इस मुद्दे पर विश्व के अन्य देशों का भी समर्थन प्राप्त कर सकता है। वैसे भी अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और इजराइल समेत विश्व के कई देशों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी।

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