क्या CJI को पद से हटाया जा सकता है? प्रक्रिया और कानूनी पहलू आसान भाषा में जानें

CJI बी.आर. गवई पर भगवान विष्णु अपमान विवाद: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई (B.R. Gawai) हाल के दिनों में विवादों में घिर गए हैं, जब उन्होंने खजुराहो के वामन मंदिर की टूटी भगवान विष्णु मूर्ति को ठीक करने की PIL खारिज करते हुए रूड टिप्पणी की, “जाओ, भगवान से ही कुछ करने को कहो।” यह बयान हिंदू संगठनों और आम लोगों को नागवार गुजरा, जिनका कहना है कि CJI ने हिंदू देवता का अपमान किया (CJI insulted Hindu deity) है। सोशल मीडिया पर #CJI_Insult_LordVishnu ट्रेंड कर रहा है, और लोग CJI से माफी की मांग कर रहे हैं। साथ ही, कई संगठनों ने CJI को पद से हटाने की मांग उठाई है। आइए, जानते हैं कि क्या CJI को पद से हटाया जा सकता है (Can the CJI be removed), चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को पद से हटाने की प्रक्रिया क्या है (What is the procedure for removal of the Chief Justice of India?), और क्या उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है।

क्या सुप्रीम कोर्ट के CJI को पद से हटाया जा सकता है?

Can the Chief Justice of India be removed from Supreme Court: हां, सुप्रीम कोर्ट के CJI को पद से हटाया जा सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया बेहद कठिन और असाधारण परिस्थितियों में ही संभव है। वर्तमान विवाद में CJI गवई के भगवान विष्णु के अपमान को लेकर हिंदू संगठनों का गुस्सा चरम पर है। लोग कह रहे हैं कि उनकी टिप्पणी हिंदू भावनाओं (CJI Hurt Hindu Sentiments) को ठेस पहुंचाती है, और माफी मांगने के बजाय उन्हें पद छोड़ना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 124(4) (Article 124(4)) के तहत जज को केवल “प्रलोभन या भ्रष्टाचार” (Proven Misbehavior or Incapacity) साबित होने पर हटाया जा सकता है। हालांकि, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला इसके दायरे में नहीं आता, लेकिन जन दबाव बढ़ रहा है

CJI को पद से कैसे हटाया जा सकता है?

How can the Chief Justice of India be removed: CJI को हटाने के लिए संसद में महाभियोग (Impeachment Process Of CJI) की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124(4) और जजेज (इन्क्वायरी) एक्ट, 1968 (Judges (Inquiry) Act, 1968) के तहत होती है। वर्तमान में, CJI गवई के खिलाफ हिंदू संगठनों ने मांग उठाई है कि उनकी टिप्पणी “अनैतिक आचरण” के तहत आती है। इसके लिए कम से कम 100 लोकसभा सांसदों या 50 राज्यसभा सांसदों को महाभियोग प्रस्ताव लाना होगा। प्रस्ताव पास होने के लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी है, और फिर जांच समिति गठित होती है। अगर साबित हो जाए, तो CJI को हटाया जा सकता है।

CJI को पद से हटाने की प्रक्रिया

Process of removing the Chief Justice of India: हटाने की प्रक्रिया में सबसे पहले संसद में महाभियोग नोटिस दायर करना होता है। इसके बाद जांच समिति बनाई जाती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज शामिल होते हैं। वर्तमान विवाद में, हिंदू संगठनों ने CJI की टिप्पणी को “हिंदू धर्म का अपमान” बताते हुए सरकार से कार्रवाई की मांग की है। समिति जांच के बाद रिपोर्ट संसद को सौंपती है। अगर दो-तिहाई सांसद इसे स्वीकार करते हैं, तो राष्ट्रपति (Can President Remove CJI) CJI को हटा सकते हैं। यह प्रक्रिया कभी सफल नहीं हुई, और मौजूदा मामले में भी इसे लागू करना मुश्किल होगा।

CJI के खिलाफ केस किया जा सकता है?

Can a case be filed against the Chief Justice of India: नहीं, CJI के खिलाफ सीधे तौर पर आपराधिक या सिविल केस दायर नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे न्यायिक immunities (Judicial Immunity) के तहत संरक्षित हैं। वर्तमान विवाद में CJI गवई की टिप्पणी को लेकर लोग नाराज हैं, लेकिन कानूनी तौर पर उनके खिलाफ केस दर्ज करना संभव नहीं है, जब तक कि कोई गंभीर भ्रष्टाचार या अपराध साबित न हो। हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक अपमान बताया, लेकिन यह कानूनी कार्रवाई का आधार नहीं बनता।

CJI के खिलाफ FIR हो सकती है?

Can an FIR be filed against the Chief Justice of India: नहीं, CJI के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हो सकती, क्योंकि जजों को संविधान के अनुच्छेद 124(4) और जजेज प्रोटेक्शन एक्ट, 1985 (Judges Protection Act, 1985) के तहत सुरक्षा प्राप्त है। वर्तमान मामले में, भगवान विष्णु के अपमान को लेकर लोग CJI पर FIR की मांग कर रहे हैं, लेकिन कानूनी रूप से यह संभव नहीं है। हां, अगर कोई ठोस सबूत भ्रष्टाचार या अपराध का हो, तो संसद के माध्यम से जांच शुरू हो सकती है, लेकिन धार्मिक टिप्पणी के आधार पर FIR नहीं हो सकती।

CJI के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर हो सकता है?

Can a defamation case be filed against the Chief Justice of India: नहीं, CJI के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर नहीं हो सकता, क्योंकि जजों को अपने कर्तव्यों के दौरान दी गई टिप्पणियों के लिए कानूनी संरक्षण मिला है। वर्तमान विवाद में CJI गवई की “जाओ, भगवान से कहो” वाली टिप्पणी को लोग मानहानि मान रहे हैं, और हिंदू संगठनों ने इसे हिंदू देवताओं का अपमान बताया है। लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के तहत यह मुकदमा नहीं चल सकता, जब तक कि यह निजी क्षमता में न हो, जो इस मामले में लागू नहीं होता।

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