One Nation One Election : एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है अब देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होने की संभावनाएं प्रबल होती नज़र आ रहीं हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के बाद कैबिनेट में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। एनडीए सरकार शीतकालीन सत्र में संसद में यह विधेयक लाएगी।
सरकार के 100 दिन पूरे होने पर शाह ने दिए थे संकेत
मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल से ही एक देश एक चुनाव को लेकर गंभीर थी। पीएम मोदी ने कई मौकों पर और चुनावी रैलियों में भी एक देश एक चुनाव की बात की थी। हाल ही में एनडीए सरकार के 100 दिन पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक देश एक चुनाव के एनडीए के संकल्प को दोहराया। अब इस प्रस्ताव पर संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा।
पीएम मोदी ने लाल किले से इसका जिक्र किया था। One Nation One Election
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में एक देश-एक चुनाव का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा बन रहे हैं।
कोविंद समिति की रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है।
एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इस साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। एक देश एक चुनाव की यह रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है।
देश में चार बार एक साथ चुनाव हुए हैं। (One Nation One Election)
वर्ष 1950 में गणतंत्र बनने के बाद 1951 से 1967 तक हर पांच साल में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते रहे। देश के मतदाताओं ने वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में केंद्र और राज्यों के लिए एक साथ मतदान किया। लेकिन देश में कुछ पुराने राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के उदय के साथ ही वर्ष 1968-69 में यह प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त कर दी गई।