इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं. फिलहाल कंपनी दिवालिया संकट से जूझ रही है,,,
बायजू (BYJUS FALL) की वैल्यू ऐसे ही जीरो नहीं हो गई है. कंपनी ने पिछले कुछ समय में ऐसे फैसले लिए हैं जो अब उसे भारी पड़ गए हैं। बायजू पर अभी भी भारी कर्ज है। साथ ही यह कंपनी विनियामक जांच का भी सामना कर रही है और इसने अपनी वित्तीय रिपोर्टिंग में देरी की है। इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। फिलहाल कंपनी दिवालिया संकट से जूझ रही है।
BYJUS FALL का कारण
बायजू ने बड़ी कंपनी बनने के लिए कई कंपनियों का अधिग्रहण किया। कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन में आई तेजी के चलते कंपनी ने अपना विस्तार करने की योजना बनाई। ऐसे में इसने व्हाइटहैट जूनियर और ग्रेट लर्निंग जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसमें व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण करीब एक अरब डॉलर में किया गया। इससे बायजू पर 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज हो गया। इतना कर्ज होना कंपनी के रेवेन्यू से कहीं ज्यादा था।
कंपनी का कर्ज लगातार बढ़ा
जहां कोरोना से पहले ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा था, उसके बाद यह तेजी से धीमा हो गया। इसका कारण यह था कि छात्र वापस स्कूल जाने लगे और कोचिंग भी ऑफ़लाइन मोड में शुरू हो गई। चूंकि बायजू (BYJUS FALL) ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करता है, इसलिए इस कंपनी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 में 5592 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया। जबकि पिछले साल यह घाटा 2428 करोड़ रुपये था। कंपनी का कर्ज लगातार बढ़ता गया। तो वहीं कोरोना के समय कंपनियां खरीदने के कारण कंपनी पहले से कर्ज में थी।
कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई
इसके बाद कंपनी ने मार्केटिंग में भी भारी रकम खर्च की। इसके लिए कंपनी ने कई बड़े इवेंट आयोजित किए और अपने विज्ञापनों में मशहूर हस्तियों को भी शामिल किया। इन चीजों से कंपनी (BYJUS FALL) का कर्ज भी बढ़ गया। जब कंपनी पर कर्ज बढ़ गया तो वह उसे चुकाने में असफल होने लगी। इसके कारण, लेनदारों ने कंपनी के खिलाफ अदालत में मामले दायर करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का भी कंपनी के साथ कानूनी विवाद चल रहा है।
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