बायजू (BYJUS) के ऋणदाताओं ने अपने प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट के माध्यम से ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ में एक मामला दायर किया है,,,,
अमेरिका के डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट ने बायजू (BYJUS) को 1.5 अरब डॉलर का लोन न चुकाने का दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखा है। इससे आर्थिक संकट से जूझ रही एडटेक कंपनी बायजूज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
BYJUS 1.2 अरब डॉलर की डिफॉल्टर
दरअसल, चांसरी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए बायजू को 1.2 अरब डॉलर का डिफॉल्टर माना था। अब डेलावेयर कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी है। बायजू के ऋणदाताओं ने अपने प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट के माध्यम से ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ में एक मामला दायर किया है। जिसमें उन्होंने बायजू पर ऋण समझौते के तहत भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया।
कर्जदाता BYJUS से रकम मांग सकते हैं
डेलावेयर कोर्ट के फैसले के बाद अब बायजू (BYJUS) के कर्जदाता अपनी पूरी रकम वापस मांग सकते हैं। वह बायजू की अमेरिकी कंपनी बायजू अल्फा इंक का भी नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है। टर्म लोन देने वालों के समूह की गवर्निंग कमेटी के बयान के मुताबिक, बायजू के संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन और उनके भाई रिजू रवींद्रन ने खुद स्वीकार किया है कि बायजू ने अक्टूबर 2022 तक ऋण भुगतान में देरी की थी।
बायजू ने स्पष्टीकरण जारी किया
समिति ने कहा- हमें खुशी है कि डेलावेयर के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णायक रूप से उस बात की पुष्टि की है जो हम पहले से जानते थे। बायजूज़ ने जानबूझकर ऋण समझौते का उल्लंघन किया और इसका सम्मान नहीं किया। डेलावेयर कोर्ट से झटका मिलने के बाद बायजू ने स्पष्टीकरण जारी किया है। कंपनी (BYJUS) ने कहा है कि डेलावेयर कोर्ट के फैसले का भारत में चल रही कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मामला अभी भी है लंबित
ग्लास ट्रस्ट की कार्रवाई की वैधता अभी भी न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ग्लास थिंक एंड लर्न्स की दिवाला प्रक्रिया में सीओसी का सदस्य नहीं है। साथ ही वो न ही ग्लास के पास अमेरिका में कोई कानूनी स्थिति है और न ही भारत में कोई अधिकार है।