एड-टेक फर्म बायजू (BYJUS) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपये के समझौते को मंजूरी दी थी,,,,,
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने एडटेक फर्म बायजू के खिलाफ दिवालियापन मामले को लेकर बयान दिया है। जिसमें मामले को वापस लेने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) बेंगलुरु में एक याचिका दायर की है। साथ ही मामले पर तत्काल सुनवाई की भी मांग की है।
158 करोड़ रुपये का समझौता
अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) के फैसले को पलट दिया था। जिसने एड-टेक फर्म बायजू (BYJUS) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपये के समझौते को मंजूरी दी थी। इससे बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड पर दिवालियापन की कार्यवाही का संकट फिर से शुरू हो गया था।
BYJUS के खिलाफ थी याचिका
जुलाई में, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही के लिए याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद 31 जुलाई को बायजू-बीसीसीआई के बीच समझौता हुआ है। जिसे नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) ने स्वीकार कर लिया। टीम इंडिया की जर्सी के लिए 2019 में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड और बीसीसीआई के बीच प्रायोजन अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
बीसीसीआई को 4.6 करोड़ रुपये मिलते थे
समझौते के तहत बायजूस हर द्विपक्षीय मैच के लिए बीसीसीआई को 4.6 करोड़ रुपये देता था। इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बायजस को झटका देते हुए सेटलमेंट की इजाजत देने वाले एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगा दी थी। सेटलमेंट राशि को एक अलग खाते में रखने का आदेश दिया था।
BYJUS को मिली थोड़ी राहत
बायजस ग्रुप कंपनी के कुछ ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिका स्थित ग्लास ट्रस्ट ने 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी। इस अपील में ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी गई थी। जिसमें बायजूस और बीसीसीआई को भुगतान का निपटान करने की अनुमति दी गई थी।
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