Butan King in Mahakumbh : क्या होती है ‘खो’ जिसे पहनकर भूटान नरेश वांगचुक ने महाकुंभ में लगाई डुबकी

Bhutan King in Mahakumbh : प्रयागराज महाकुंभ में आज भूटान के राज जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक पहुंचे। उन्होंने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। उन्होंने संगम में डुबकी लगाने से पहले सूर्य को अर्घ्य दिया और अन्य रस्में निभाई। इस दौरान उनके साथ सीएम योगी भी मौजूद रहें। महाकुंभ में सीएम योगी के साथ भूटान नरेश नारंगी रंग के पारंपरिक पोशाक खो में दिखाई दिए। उन्होंने भगवा वस्त्र पहनकर अमृत स्नान किया।

खो पहनकर महाकुंभ पहुंचे भूटान नरेश 

मंगलवार को भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक प्रयागराज के हवाई अड्डे पर उतरे तो सीएम योगी ने उन्हें नारंगी (भगवा) रंग का स्टॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। भूटान के राजा वांगचुक ने उनके देश का पारंपरिक पोशाक खो (भूटान में पुरुषों के लिए राष्ट्रीय पोशाक) पहना था। इसके साथ उन्होंने कमर पर (एक बेल्ट) केरा लगाई थी। 

भगवा पहनकर भूटान नरेश ने किया स्नान | Butan King in Mahakumbh

इसके बाद भूटान के राजा वांगचुक सीएम योगी के साथ महाकुंभ पहुंचे और संगम में डुबकी लगाई। जब भूटान नरेश स्नान के लिए पानी में उतरे तो वह लंबा भगवा रंग का कुर्ता और पायजामा पहने हुए थे। इस दौरान सीएम योगी, यूपी कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव, नंद गोपाल गुप्ता और नव-महामंडलेश्वर संतोष दास ने भी भूटान नरेश के साथ संगम में स्नान किया। इनके संगम स्नान की तस्वीरें राज्य सरकार द्वारा जारी की गई हैं।

सोमवार को लखनऊ पहुंचे थे वांगचुक | Mahakumbh 2025

बता दें कि भूटान नरेश बीते सोमवार को ही लखनऊ पहुंच गए थे।लखनऊ में कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ उनका स्वागत किया गया था। इसके बाद में वह सीएम योगी के साथ राजभवन पहुंचे थे जहां राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया था। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने नरेश के साथ भारत-भूटान संबंधों पर विस्तृत चर्चा की।

पहले भी भारत आ चुके हैं भूटान नरेश 

बताया जा रहा है कि भूटान नरेश की यात्रा भारत-भूटान मैत्री और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले दिसंबर 2024 और मार्च 2024 में भूटान के राजा और रानी दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भूटान यात्रा पर गए थे। जहां उन्हें भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ डुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया गया था।

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