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Bahraich Violence : बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर कल तक रोक, सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को आदेश

Bahraich Violence : सुप्रीम कोर्ट ने बहराइच हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई पर कल यानी बुधवार तक रोक लगा दी है। आज (मंगलवार) मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि हम कल मामले की सुनवाई करेंगे। तब तक कोई बुलडोजर कार्रवाई न करें। यह आदेश जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने दिया है। आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं के वकील सीयू सिंह ने कहा कि 13 अक्टूबर को बहराइच में एक घटना हुई। इसमें मौत का मामला है। यह 3 लोगों की अर्जी है जिन्हें ध्वस्तीकरण नोटिस मिला है, जवाब देने के लिए 3 दिन का समय दिया गया है।

हाईकोर्ट में क्या कार्रवाई हुई? Bahraich Violence

एएसजी केएम नटराज ने कहा कि हाईकोर्ट को मामले की जानकारी है। जस्टिस गवई ने कहा कि अगर वे (यूपी के अधिकारी) हमारे आदेश का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहते हैं तो यह उनकी मर्जी है. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट ने 15 दिन का समय दिया है। याचिकाकर्ताओं के वकील सिंह ने कहा कि हालांकि कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है। जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आपका निर्माण सड़क पर है तो हम कोई आदेश कैसे दे सकते हैं। वकील सिंह ने कहा कि माई लॉर्ड हमारी रक्षा करें। जस्टिस गवई ने एएसजी से कल तक अपनी कार्रवाई रोकने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने पहले बुलडोजर कानून पर रोक लगा दी थी।

करीब एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में अपराध के आरोपियों के घरों को बुलडोजर से ढहाए जाने के मामलों पर सुनवाई शुरू की थी। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि वे हिंसा के मामले में आरोपियों के घरों पर गाइडलाइन तय होने तक ऐसी कार्रवाई न करें। तब प्रयागराज, अयोध्या समेत कई शहरों में ऐसी कार्रवाई को लेकर सवाल उठे थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि अतिक्रमण हटाने जैसे मामलों में राज्य सरकारें अवैध कब्जे हटाने के लिए बुलडोजर की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी राहत मिल चुकी है। Bahraich Violence

हिंसा की घटना के बाद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने कथित अवैध निर्माण को लेकर 23 प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए थे, जिनमें से 20 मुसलमानों के हैं। ये नोटिस रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट, 1964 के तहत जारी किए गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इन लोगों को बड़ी राहत देते हुए जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय बढ़ा दिया है और राज्य के अधिकारियों को उनके जवाबों पर विचार करने और तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। बेंच ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 अक्टूबर तय की है।

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