Budh Pradosh Vrat 2025 : बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त-पूजा विधि व महत्व-हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। जब प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ता है, तब इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। 17 दिसंबर 2025 को पड़ने वाला बुध प्रदोष व्रत वर्ष 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह व्रत विशेष रूप से व्यापार, बुद्धि, वाणी, शिक्षा और करियर में सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। बुधवार का दिन बुध ग्रह को तथा प्रदोष काल भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, जिससे जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। 17 दिसंबर 2025 को साल का अंतिम बुध प्रदोष व्रत है। जानें इस व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्यापार, बुद्धि व करियर में इसके लाभ क्या हैं।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
बुद्धि, वाणी और व्यापार में वृद्धि-बुध ग्रह बुद्धि, तर्कशक्ति, संवाद और व्यापार का कारक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से विद्यार्थियों की एकाग्रता बढ़ती है,व्यापार में निर्णय क्षमता मजबूत होती है,नौकरी व करियर में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
आर्थिक लाभ
मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत के प्रभाव से-कर्ज और आर्थिक तनाव कम होते हैं,आय के नए स्रोत खुलते हैं,धन-धान्य में वृद्धि होती है एवं रोगों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती हैं। यह व्रत शारीरिक कष्टों, मानसिक भ्रम और नकारात्मक ऊर्जा से राहत देने वाला भी माना जाता है।

बुध प्रदोष व्रत 2025-तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि-बुधवार, 17 दिसंबर 2025
- प्रदोष काल-शाम 05:27 PM से 08:11 PM तक (लगभग 2 घंटे 44 मिनट)
यही समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए सर्वाधिक फलदायी माना जाता है।
पूजा विधि और सरल उपाय - प्रदोष काल में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें
- “ॐ बुद्धिप्रदायै नमः” मंत्र का जाप करें
- शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें
- इस दिन अन्न त्याग कर फल, दूध या फलाहार ग्रहण करें
- पूजा के अंत में भगवान शिव से बुद्धि, विवेक और स्थिरता की प्रार्थना करें।
विशेष लाभ किसे मिलेगा ? - विद्यार्थी
- व्यापारी और उद्यमी
- नौकरीपेशा लोग
- करियर में अस्थिरता झेल रहे युवा
- वाणी या निर्णय से जुड़ी समस्याओं वाले व्यक्ति
निष्कर्ष (Conclusion)-बुध प्रदोष व्रत 2025 न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि यह बुद्धि, व्यापार, करियर और आर्थिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत फलदायी माना गया है। वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत होने के कारण इसका प्रभाव और भी विशेष हो जाता है। यदि श्रद्धा, नियम और सही विधि से यह व्रत किया जाए, तो भगवान शिव और बुध ग्रह की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन निश्चित रूप से अनुभव किए जा सकते हैं।
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