Budget 2024: वित्त मंत्री आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर रही है. इस बजट से देश के भविष्य की रूप रेखा तय होंगी। इससे पहले भी भारत में कई ऐसे बजट पेश हुए जिनसे देश की आर्थिक तरक्की को रफ़्तार मिली।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी 23 जुलाई को मोदी 3.0 का पहला बजट पेश कर रही है । इस बजट से आम जनता से लेकर उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें हैं। भारत में बजट की समृद्ध परंपरा है। भारत का अपना पहला बजट साल 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था।
1991-92 में हुआ अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
अगर किसी बजट ने आधुनिक भारत की तकदीर तय की, तो वह है 1991 का केंद्रीय बजट था. वर्ष 1991 में देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. देश में चंद दिनों का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था. ऐसे में उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी काबिलियत का इस्तेमाल किया और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए। यह बजट मील का पत्थर साबित हुआ और बहुचर्चित लाइसेंस सिस्टम समाप्त हुआ. जिससे देश में निजी करण को बढ़ावा मिला।
मनमोहन सिंह के बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का भरोसा बहाल किया। विदेशी निवेश को आकर्षित किया। इससे भारत के आर्थिक शक्ति बनने का रास्ता भी तैयार हुआ।
1997 -1998 का ड्रीम बजट
इस बजट को ड्रीम बजट का तमगा दिया गया । 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ पी चिदंबरम कार्य कर चुके थे. उन्होंने आर्थिक और वित्तीय कुशलता का परिचय 1997 का बजट पेश करते वक्त दिया, जब वह वित्त मंत्री बने। इसमें पर्सनल इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स में भारी कमी की गई। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिली।
2000-01 का लैंडमार्क बजट
अटल बिहारी बाजपेयी की अगुआई वाली सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा नें डिजिटल क्रांति की रूपरेखा तैयार की। यह बजट आईटी सेक्टर के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ. सॉफ्टवेयर निर्यात से होने वाली आय को टैक्स फ्री किया गया।
2016 -2017 में जेटली का बजट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में दिवंगत अरुण जेटली नें पहली बार आम बजट में रेल बजट को मर्ज कर दिया और इस तरह 92 वर्ष पुरानी परंपरा समाप्त हो गई।
2019 -2020 में सीतारामन् का बजट
सीतारमण को कोरोना महामारी के दौरान COVID-19 इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स का प्रभारी भी बनाया गया। कोरोना काल में आर्थिक मुश्किलों को दूर करने के लिए देश के जीडीपी के करीब 10 फीसदी के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का भी एलान किया।