Loksabha Chunav 2024: बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने साफ़ कह दिया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में BSP न पक्ष के साथ होगी न विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनेंगी।
NDA Vs I.N.D.I.A: अगले साल करीब 7-8 महीने बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पक्ष-विपक्ष दोनों ही अपने-अपने स्तर में तैयारी कर रहा है. NDA और I.N.D.I.A ज्यादा से ज्यादा दलों को अपने पाले में लाने में लगे हुए हैं. लगभग देश की सभी राजनीतिक पार्टियां NDA या फिर I.N.D.I.A के खेमे में जा चुकि हैं. लेकिन बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) एक मात्र ऐसी पार्टी है जो दोनों गठबंधनों में किसी का साथ न देकर अकेले चुनाव लड़ने वाली है.
BSP अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी
BSP सुप्रीमो मायावती ने यह बात क्लियर कट कह दी है कि उनकी पार्टी आगामी आम चुनाव में किसी भी गठबंधन के साथ शामिल नहीं होगी। उन्हें न तो NDA की विचारधारा से जुड़ना है और और न ही I.N.D.I.A की विचारधारा में उन्हें कुछ दिखाई देता है. और गठबंधन से नुकसान ज्यादा होता है फायदा कम.
23 अगस्त को इसी सिलसिले में BSP के पदाधिकारियों की मीटिंग हुई थी. जिसके बाद पार्टी ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए अपना अंतिम फैसला बताया। BSP की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया-
‘जब बीएसपी गठबंधन करती है तो उसके पारंपरिक वोट का फ़ायदा गठबंधन में शामिल दूसरे दल को हो जाता है. दावा किया गया है कि गठबंधन करने वाले दूसरे दल का वोट बीएसपी को ट्रांसफ़र नहीं होता. इसलिए बीएसपी दूसरों को तो फ़ायदा दिला देती है लेकिन उसको फ़ायदा नहीं मिल पाता. बयान में दावा किया गया है कि गठबंधन करने वाले दल अपना वोट बीएसपी उम्मीदवारों को ट्रांसफ़र कराने की न नीयत रखते हैं और न ही उनके पास वोट ट्रांसफ़र कराने की क्षमता है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है. इसलिए बीएसपी न सत्ता पक्ष से और न विपक्षी दलों से गठबंधन करेगी’
बिना गठबंधन BSP कुछ नहीं!
मायावती का कहना है कि BSP जब गठबंधन करती है तो फायदा से ज्यादा नुकसान होता है. हालांकि जब-जब BSP ने बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा है तब-तब पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है.
2014 में BSP को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट में जीत नहीं मिली, लेकिन 2019 में सपा के साथ गठबंधन करने पर BSP को 10 जीतों में जीत हासिल हुई, जबकि सपा 5 सीटों में सिमट गई. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी बसपा ने बिना गठबंधन के चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी सिर्फ एक जीत जीत पाई.
जब मायावती यूपी की सीएम थीं तब उनपर बीजेपी ने ही मेहरबानी दिखाई दिखाई थी. लेकिन BJP-BSP का गठबंधन 6-6 महीने के CM वाले फॉर्मूले के चलते फेल हो गया था. BSP खुद को हर पार्टी का धुर विरोधी कहती है लेकिन BSP ने BJP, SP और Congress तीनों पार्टियों को सपोर्ट दिया है.