BSF jurisdiction: BSF को लेकर केंद्र और पंजाब सरकार में मचा बवाल!

BSF jurisdiction

BSF jurisdiction: BSF के अधिकार क्षेत्र से जुड़े मामले को लेकर पंजाब सरकार ने केंद्र की सरकार पर भारी आरोप लगाएं हैं. भगवंत सरकार के मुताबिक़ केंद्र सरकार ने राज्य सरकार और पुलिस से उनकी शक्तियां छीनी हैं. यह मामला  अब सुप्रीम कोर्ट में है. आइए जानते हैं-

असल में BSF के अधिकार क्षेत्र से जुड़ी एक याचिका पंजाब सरकार ने दायर की है. दी हिन्दू के कृष्णदास राजगोपाल की रिपोर्ट की माने तो यह याचिका केंद्र सरकार के एक फैसले के खिलाफ दर्ज की गई है. फैसला केंद्र सरकार BSF एक्ट, 1968 के सेक्शन 139 से जुड़ा हुआ है. बता दें कि केंद्र सरकार ने BSF एक्ट के सेक्शन 139 के तहत पकिस्तान बॉर्डर पर BSF के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. जिसपर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार द्वारा याचिका दायर की गई थी. जिस पर 22 जनवरी को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह इस बात पर आगे चर्चा करेगी कि क्या केंद्र सरकार ने पंजाब के अधिकार क्षेत्र पर कब्ज़ा किया है अथवा नहीं? 

“सभी बॉर्डर इलाकों के साथ एक जैसा करें व्यव्हार”

साथ ही इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि BSF के अधिकार क्षेत्र का सीमांकन करते समय सभी बॉर्डर इलाकों के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए. बता दें कि पंजाब सरकार द्वारा दायर इस याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई अप्रैल के तीसरे महीने में करनेड की बात कही है. वहीं, पंजाब सरकार द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने पुलिस से उनकी शक्तियां छीनी है. मालूम हो कि भारत का संविधान राज्य को पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति देता है. 

सेक्शन 139 BSF एक्ट, 1968

इस मामले से स्पस्ट है कि केंद्र ने पंजाब में BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के लिए BSF एक्ट, 1968 के सेक्शन 139 का प्रयोग किया है. बताए दें कि एक्ट का ये सेक्शन केंद्र को ये पावर देता है कि वो BSF को सेंट्रल एक्ट के सन्दर्भ में शक्तियां दे सकें. इस प्रावधान का उद्देश्य राज्य पुलिस के सहयोग से क्रॉस बोर्डेर क्राइम पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें.  

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वहीं, कोर्ट इस बात पर गौर करने के लिए सहमत हो गया है कि क्या सेक्शन 139 केंद्र सरकार द्वारा ‘शक्ति का मनमाना प्रयोग’ और भगवंत सरकार के अधिकार में ‘असंवैधानिक हस्तक्षेप’ है. कोर्ट की सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष लेते हुए कहा कि गुजरात में BSF का अधिकार क्षेत्र 80 किलोमीटर है तो वहीँ यह गुजरात में 50 किलोमीटर. कहीं-कहीं तो यह पूरा केंद्र के हाथों में हुई है. 

“शक्तियों के बढ़ने से क्राइम में होगी कमी”

मांमले में केंद्र द्वारा पक्ष लेते हुए तर्क दिया गया कि BSF के इस अधिकार क्षेत्र को बढाए जाने से पुलिस को क्राइम कम करने में मदद मिलेगी. जवाब देते हुए पंजाब के अधिवक्ता जेनरल ने कहा कि BSF का कार्य क्षेत्र कई अन्य कारणों(संरचना, जनसँख्या, आदित्यदि) पर निर्भर करता है. 

“BSF की शक्ति बढ़ने से पंजाब सरकार की शक्तियों का होगा हनन”

पुंजाब सरकार के पक्षधर अधिवक्ता शादान फरसत ने तर्क दिया कि पंजाब का तुलना गुजरात और राजस्थान से करना गलत है क्योंकि 50 किलोमीटर की दायरे में यहाँ शहर और कसबे आ जायेंगे. BSF की शक्तियां बढ़ाएं जाने से राज्य सूचि एंट्री 1 और 2 के तहत राज्य की शक्तियों का हनन भी होगा.  

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