नही रहे अंग्रेजों के ज़माने के जेलर, हास्य फिल्म अभिनेता असरानी का निधन, ऐसा रहा उनका सफर

बॉलीबुड। अपने हास्य कला से दर्शकों के दिलों में राज करने वाले फिल्म अभिनेता गोवर्धन असरानी का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनका स्वस्थ ठीक नही था और जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में उनका ईलाज चला रहा था। ईलाज के दौरान आसरानी का निधन हो गया। असरानी भारतीय सिनेमा के सबसे लंबे समय तक सक्रिय हास्य कलाकारों में से एक थे। पांच दशकों से अधिक के अपने करियर में उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया था।

शांति पूर्वक अतिम संस्कार की जताई थी इच्छा

असरानी का निधन हो जाने पर उनका अंतिम संस्कार सांताक्रुज स्थित शास्त्री नगर श्मशानभूमि में परिवार और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में किया गया। यह जानकारी असरानी के मैनेजर बाबुभाई थीबा ने दी। असरानी के परिवार ने अंतिम संस्कार बिना किसी औपचारिक घोषणा के चुपचाप किया। जानकारी के अनुसार, असरानी नहीं चाहते थे कि उनके निधन के बाद कोई शोर-शराबा मचे। उन्होंने अपनी पत्नी मंजू असरानी से पहले ही कह दिया था कि उनकी मृत्यु की खबर को सार्वजनिक न किया जाए और बिना शोर शराबे के अंतिम संस्कार किया जाए।

जयपुर में हुआ था जन्म

असरानी का जन्म जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल, जयपुर से की और ग्रेजुएशन के लिए राजस्थान कॉलेज गए। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने रेडियो आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। असरानी की पत्नी मंजू बंसल ईरानी भी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं और दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया। असरानी ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। उन्होंने साल 2004 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और लोकसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई।

5 दशकों तक फिल्मों में रहे सक्रिय

आसरानी पिछले 5 दशक से कॉमेडी की दुनिया के बेताज बादशाह रहे थे। अभिनेता और निर्देशक असरानी की कॉमेडी से दुनिया के कई लोग हस्ते थे। हांलाकि शुरूआती दौर में उन्हे काफी संघर्ष करना पड़ा, क्योकि बॉलीवुड में पैर जमाना असरानी के लिए आसान नहीं था। उन्होंने काफी संघर्ष के बाद जया भादुड़ी स्टारर फिल्म ‘गुड्डी’ से डेब्यू किया। यह फिल्म हिट रही और असरानी को भी इसमें काफी पसंद किया गया। एक इंटरव्यू में असरानी ने बताया कि उनके शुरुआती दिनों में लोग उन्हें कमर्शियल एक्टर नहीं मानते थे। उन्होंने कहा कि गुलजार साहब ने भी उनके बारे में कहा था कि “कुछ अजीब सा चेहरा है। लेकिन जब असरानी ने एक्टिंग में अपनी प्रतिभा दिखाई, तो उन्हें पीछे मुड़कर देखने का मौका नहीं मिला।

ये रही आसरानी की यादगार फिल्में

असरानी की यादगार फिल्मों में कोशिश (1973) बावर्ची (1972) चुपके चुपके (1975) छोटी सी बात (1975) शोले (1975) जैसी मशहूर फिल्में रही है। उनके किरदारों की कॉमिक टाइमिंग और अनोखे अंदाज ने दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए जगह बना दी। ‘शोले’ में जेलर का किरदार, ‘चुपके चुपके’, ‘आ अब लौट चलें’ और ‘हेरा फेरी’ जैसी फिल्मों तक, उन्होंने हर पीढ़ी को अपनी कला से प्रभावित किया। उनका मानना था कि कड़ी मेहनत और ईमानदारी ही सफलता की कुंजी है। गोवर्धन असरानी ने अपनी जिंदगी में न केवल मनोरंजन की दुनिया में बल्कि राजनीति और सामाजिक गतिविधियों में भी योगदान दिया।

फिल्म इंडस्ट्री ने जताया शोक

उनके निधन से बॉलीवुड ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया है, जिसने हंसी और अभिनय दोनों से दर्शकों का दिल जीता। असरानी के साथी कलाकार और फिल्म इंडस्ट्री ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। कई बड़े कलाकारों ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनका योगदान हिन्दी सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी फिल्मों और किरदारों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि कई पीढ़ियों को कॉमिक टाइमिंग और सशक्त अभिनय का पाठ भी पढ़ाया।

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