यूनाइटेड किंगडम ने अपनी नई डिपोर्टेशन नीति में भारत को शामिल किया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर रखा गया है। यह कदम ब्रिटेन में भारतीय मूल के आरोपियों (Indian-Origin Offenders In Britain) के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत देता है, जो देश में अपराध (Crime in UK) के मामलों में शामिल पाए गए हैं। हाल की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन सरकार (UK Government) ने भारतीय नागरिकों (Indian Citizens In UK) को हिरासत और तुरंत निर्वासन की चेतावनी दी है, जिससे भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है।
कीर स्टार्मर (Keir Starmer) ने हाल ही में घोषणा की कि यूके में अपराध करने वाले भारतीय नागरिकों (Indian Nationals In UK Will Be Deported To India) को अब तुरंत हिरासत में लिया जाएगा और उनके मूल देश भारत में वापस भेजा जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून 2025 तक इंग्लैंड और वेल्स (England and Wales) की जेलों में 320 भारतीय नागरिक (Indian Prisoners In UK) बंद हैं, जिनमें 310 पुरुष (Men) और 10 महिलाएं (Women) शामिल हैं। इनमें से अधिकांश को गंभीर अपराधों जैसे चोरी, ड्रग तस्करी, और हिंसा के लिए सजा सुनाई गई है।
स्टार्मर के अनुसार, यह नीति यूके की सीमाओं को मजबूत करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए है। इस फैसले के पीछे का कारण ब्रिटेन में भारतीय अपराधियों (Indian Offenders In UK) की बढ़ती संख्या और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग है। रिपोर्ट में बताया गया कि इन 320 कैदियों में से कई ने मानवाधिकार कानून का हवाला देकर निर्वासन को टालने की कोशिश की, लेकिन अब नई नीति के तहत उन्हें तुरंत भेजा जाएगा। इसके अलावा, ब्रिटेन सरकार का मानना है कि भारतीय अपराधियों की देखभाल पर होने वाला खर्च कम करने के लिए यह कदम जरूरी है, जो हर साल लाखों पाउंड की राशि बचाएगा।
इस नीति का प्रभाव भारतीय समुदाय (Indian Diaspora) पर गहरा पड़ सकता है। जिन भारतीयों को हिरासत में लिया जाएगा, उन्हें वीडियो लिंक के जरिए भारत से अपील करनी होगी, और यदि वे निर्वासित होते हैं, तो उन्हें यूके में फिर से प्रवेश पर रोक होगी। एक उदाहरण के रूप में, हाल ही में एक भारतीय छात्र प्रज्वल रामनाथ (Prajwal Ramanath) को नाबालिगों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार के मामले में निर्वासित किया गया, जहां उसने अपराध स्वीकार किया और कहा, “मेरे माता-पिता मुझे नकार देंगे।” यह मामला इस नीति की शुरुआती सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
वैश्विक संदर्भ में, ब्रिटेन का यह कदम भारत के साथ अपने संबंधों (India-UK Relations) को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। हालांकि, पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर रखना सवाल खड़ा करता है, क्योंकि वहां से भी अपराधी ब्रिटेन में मौजूद हैं, लेकिन उनकी संख्या या गंभीरता को लेकर स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं। भारतीय समुदाय इसे भेदभाव के रूप में देख रहा है और सरकार से जवाब की मांग कर रहा है