बृजभूषण शरण सिंह यौन शोषण मामले में बरी, नाबालिग ने कोर्ट में बदला बयान, पहलवानों के आंदोलन पर उठे सवाल

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को एक नाबालिग पहलवान से यौन शोषण के मामले में बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद POCSO एक्ट के तहत दर्ज मामला रद्द हो गया। इस मामले में नाबालिग पहलवान के बयान में बदलाव और उसके आधार पर हुए पहलवानों के आंदोलन ने कई सवाल खड़े किए हैं।

नाबालिग पहलवान के बयान में बदलाव

मामले की सुनवाई के दौरान नाबालिग पहलवान ने कोर्ट में अपना बयान बदला, जिसके आधार पर बृजभूषण को बरी किया गया।

  • पहला बयान (2023): अप्रैल 2023 में नाबालिग पहलवान के पिता ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की थी, जिसमें बृजभूषण पर यौन शोषण, पीछा करने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया था। नाबालिग ने अपनी प्रारंभिक शिकायत में कहा था कि बृजभूषण ने 2016 से 2022 के बीच कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया। इस शिकायत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अप्रैल, 2023 को दिल्ली पुलिस ने POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज की थी।
  • बयान में बदलाव (2025): मई 2025 में कोर्ट में सुनवाई के दौरान नाबालिग पहलवान ने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि उसने भावनात्मक दबाव और बहकावे में आकर बृजभूषण पर झूठे आरोप लगाए थे। उसने कोर्ट को बताया कि बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण की कोई घटना नहीं हुई थी और वह खुद को पीड़िता नहीं मानती। नाबालिग ने यह भी स्वीकार किया कि उसे कुछ लोगों ने उकसाया था, जिसके कारण उसने शिकायत दर्ज की थी। इस बयान के बाद कोर्ट ने POCSO मामले में बृजभूषण को बरी कर दिया।

पहलवानों का आंदोलन

2023 में बृजभूषण के खिलाफ नाबालिग पहलवान और अन्य महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के बाद देश के शीर्ष पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर व्यापक आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया जैसे बड़े नाम शामिल थे।

  • आंदोलन का स्वरूप: जनवरी 2023 में पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना शुरू किया, जिसमें बृजभूषण को WFI अध्यक्ष पद से हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। अप्रैल 2023 में नाबालिग पहलवान की शिकायत के बाद आंदोलन और तेज हो गया। पहलवानों ने सरकार पर दबाव बनाया और कई रैलियां निकालीं।
  • आरोपों का आधार: पहलवानों ने दावा किया कि बृजभूषण ने कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया और WFI में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। नाबालिग के यौन शोषण के आरोप ने उनके आंदोलन को और बल दिया। साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर भी बृजभूषण के खिलाफ अभियान चलाया, जिसे व्यापक समर्थन मिला।
  • परिणाम: आंदोलन के दबाव में बृजभूषण को WFI अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। खेल मंत्रालय ने WFI को निलंबित कर दिया और एक जांच समिति गठित की। हालांकि, नाबालिग के बयान बदलने के बाद अब इन आरोपों को “फर्जी” बताकर आंदोलन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

बृजभूषण और समर्थकों की प्रतिक्रिया

बृजभूषण ने कोर्ट के फैसले को “सत्य की जीत” करार दिया और दावा किया कि उनके खिलाफ सारा मामला राजनीति से प्रेरित था। उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इसे “दबदबे की जीत” बताया। बृजभूषण ने कहा कि नाबालिग के बयान से साफ हो गया कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे।

अन्य मामलों की स्थिति

हालांकि POCSO मामले में बृजभूषण बरी हो गए हैं, लेकिन अन्य छह महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण, छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के आरोपों (IPC की धारा 354A, 354 और 506) के तहत मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में सह-आरोपी विनोद तोमर भी शामिल हैं।

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