Boycott Ayodhyawasi: 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए. ये नतीजे चौकाने वाले रहे. पूरे देश में जिस राम मंदिर को लेकर बीजेपी ने प्रचार किया, जिसके मत्थे चुनाव लड़ा मगर बीजेपी वहीं से हार गई जहां राम मंदिर बना. और जीत उस पार्टी के नेता की हुई जिसपर कारसेवकों पर गोली चलाने का आरोप लगाया जाता रहा. ये वाकई हैरान कर देने वाली बात हुई कि राम जन्म भूमि में ही राम को लाने वाले हार गए. फैज़ाबाद लोकसभा सीट में बीजेपी की ऐसी दुर्गति क्यों हुई इसके कई कारण हैं जिनपर हम अभी चर्चा नहीं करेंगे। आज हम बात करेंगे अयोध्या में बीजेपी की हार का बदला लेने का प्लान बना रहे सो काल्ड हिन्दुओं की जो फैज़ाबाद के हिन्दुओं का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं.
अयोध्यावासियों का आर्थीक बहिष्कार क्यों?
सोशल मीडिया में फ़ैजाबाद यानी अयोध्या के हिन्दुओं का बॉयकॉट करने की बात की जा रही है. क्यों? क्योंकि यहां से भाजपा के कैंडिडेट लल्लू सिंह, सपा नेता अवधेश प्रसाद से 54567 वोटों से हार गए. पूरे यूपी की बात करें तो 80 सीटों में बीजेपी सिर्फ 33 में जीत दर्ज कर सकी, जबकि पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा ने इस बार यूपी में 37 सीटें जीतीं जो पिछले चुनाव में सिर्फ 5 सीटों में सिमट गई थी और कांग्रेस ने 6 सीटों में जीत दर्ज की जो 2019 में सिर्फ 2 सीटों में जीत हासिल कर पाई थी. तो ना सिर्फ अयोध्या बल्कि पूरे यूपी में बीजेपी की बड़ी हार हुई है. खैर अपन वापस फ़ैजाबाद लोकसभा सीट में लौटते हैं. यूपी की बाकी हारी हुई 29 सीटों का तो पता नहीं मगर लोगों को फ़ैजाबाद से बहुत नाराजगी हो गई है. वजह वही है यहां मंदिर बनाने वाली पार्टी हार गई है. और अब लोग बदला लेने की बात करने लगे हैं. सोशल मीडिया में ऐसे पोस्ट किए जा रहे हैं जिन्हे देखकर गुस्सा कम अफ़सोस होता है. लोगों की सोच पर अफ़सोस होता है.
सोशल मीडिया में अयोध्या के हिन्दुओं का बॉयकॉट
सोशल मीडिया में अयोध्यावासियों को राम द्रोही कहा जा रहा है, उन्हें सरयू में डूब मरने के लिए कहा जा रहा है. हर तरफ ऐसी ही पोस्ट देखने को मिल रही है जिसमे लिखा है. सरयू में डूब मरो श्री राम द्रोहियों।
लोग पोस्ट कर रहे हैं कि- अगर मैं अयोध्या गया तो राम लाला के दर्शन करूँगा, लेकिन किसी भी दुकानदार से एक रुपए भी आर्थिक लेनदेन नहीं करूँगा, चाहे वो प्रसाद ही क्यों न हो? और सेम ऐसे ही पोस्ट हर तरफ देखने को मिल रहे हैं.
लोग कह कह रहे हैं कि अयोध्या जब भी जाएं अपने खाने-पीने की चीज़ें अपने साथ लेकर जाएं, मंदिर में प्रसाद चढाने के लिए लड्डू और फूल माला घर से बनवाकर ले जाएं, प्रसाद न लेकर रुपए सिर्फ दानपात्र में डालें। इन दोगलों का कोई भरोसा नहीं।
ये तमाम पोस्ट तो छोड़िये खुद हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का बयान जानिये जो कहते हैं- अच्छा हुआ, रामायण में राम जी रावण से युद्ध करने के लिए बंदरों और भालुओं को लेकर गए थे, अगर अयोध्या वालों को लेकर जाते तो सोने की लंका में सोने के चक्कर में रावण से भी समझौता कर लेते।
अयोध्या में अब आर्थिक बहिष्कर करने की पैरवी वही लोग करने लगे हैं जो कुछ दिन पहले तक मंदिर बनने से इकोनॉमिक गतिविधियों के संचालन होने की वकालत करते थे. ये लोग फूल-माला, प्रशाद न खरीदने की बात कर रहे हैं लेकिन होटल-रिक्शा, ट्रैवेल, खाने-पीने का खर्चा तो भूले ही जा रहे हैं. खैर ऐसा तो नहीं है कि अयोध्या में सिर्फ भाजपा सपोर्टर रहते हैं, और ऐसा भी नहीं है कि फैज़ाबाद की जनता ने बीजेपी को वोट ही नहीं दिया। फैज़ाबाद में पड़े 11 लाख 40 हजार 301 वोटों में से 4 लाख 99 हजार 722 वोट मिले यानी फैज़ाबाद के 43.8% वोटर्स ने उन्हें वोट दिया। और पिछले बार भी फैज़ाबाद में बीजेपी-सपा के बीच जीत हार का अंतर भी लगभग इतना ही था. तो ऐसा नहीं है कि फ़ैजाबाद में सपा को वोट देने वाले लोग पहले नहीं थे. लेकिन लोग तो लोग हैं और लोगों का काम है कहना।
वैसे सोशल मीडिया में बीजेपी की हार का कारण ये भी बताया जा रहा है कि अयोध्या में सड़क चौड़ीकरण में जो लोगों के घर तोड़े गए उसका हिसाब लिया गया है. कई लोगों को सरकार ने एक-एक लाख का मुआवजा दिया तो कइयों को कुछ मिला ही नहीं। बहरहाल अयोध्यावासियों के प्रति सोशल मीडिया यूजर्स का आर्थिक बहिष्कर और बीजेपी की हार को लेकर आपकी क्या राय है हमें कमेंट कर जरूर बताएं