Emami Boroplus Cream Fraud Case: क्रीम को बनाने वाली कंपनी ‘इमामी’ पर अजमेर जिला उपभोक्ता आयोग ने 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही, भ्रामक विज्ञापन में सुधार करने और सुधरे हुए विज्ञापन को ही प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं।
World No.1 Cream: बोरोप्लस क्रीम को विश्व की नंबर वन क्रीम बताने का दावा झूठा पाया गया। इस क्रीम को बनाने वाली कंपनी ‘इमामी’ पर अजमेर जिला उपभोक्ता आयोग ने 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही, भ्रामक विज्ञापन में सुधार करने और सुधरे हुए विज्ञापन को ही प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग ने कंपनी को भविष्य में बिना वैधानिक प्रमाण (लीगल प्रूफ) के ‘विश्व की नंबर वन’ जैसे दावे न करने की सख्त हिदायत दी है।
अजमेर के वकील ने की थी शिकायत
अजमेर के एडवोकेट तरुण अग्रवाल ने उपभोक्ता आयोग में बोरोप्लस के दावों के खिलाफ वाद दायर किया था। अग्रवाल ने बताया कि वे लंबे समय से बोरोप्लस एंटीसेप्टिक क्रीम का उपयोग करते हैं। कंपनी ‘इमामी’ ने अपने विज्ञापनों में इस क्रीम को ‘विश्व की नंबर वन’ बताया। साथ ही, कंपनी की वेबसाइट पर इसे ‘भारत की नंबर वन’ क्रीम के रूप में प्रचारित किया गया। क्रीम के रैपर पर भी इसे ‘भारत में सबसे अधिक बेची जाने वाली क्रीम’ बताया गया। अग्रवाल का कहना था कि बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी ग्राहकों को भ्रमित करने और गुमराह करने वाले दावे कर रही है।
कंपनी ने लीगल नोटिस का जवाब नहीं दिया
अग्रवाल ने कंपनी को लीगल नोटिस भेजकर विज्ञापन में विरोधाभासी दावों को स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया। आयोग के समक्ष कंपनी के वकीलों ने दस्तावेज पेश कर बताया कि मार्च 2018 तक की अवधि में बोरोप्लस एंटीसेप्टिक क्रीम स्किन क्रीम श्रेणी में भारत में पहले स्थान पर थी। हालांकि, ‘विश्व की नंबर वन’ क्रीम के दावे को साबित करने के लिए कंपनी कोई साक्ष्य या जवाब पेश नहीं कर सकी। अग्रवाल ने तर्क दिया कि कंपनी ने समाचार पत्रों, वेबसाइट और पैकिंग पर अलग-अलग दावे किए, जो भ्रामक विज्ञापन की श्रेणी में आते हैं।
बिना सर्टिफिकेट के दावा करना गलत
अजमेर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमावत, सदस्य दिनेश चतुर्वेदी और जय श्री शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। 15 जुलाई को दिए गए निर्णय में आयोग ने कहा कि कंपनी ‘बेस्ट’ या ‘अमेजिंग’ जैसे शब्दों का उपयोग कर सकती है, लेकिन बिना वैश्विक प्रमाण के ‘विश्व की नंबर वन क्रीम’ जैसे दावे करना भ्रामक विज्ञापन की श्रेणी में आता है। आयोग ने इस मामले को सार्वजनिक हित से जोड़ते हुए कंपनी पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें 5 हजार रुपये कानूनी खर्च (वकील की पैरवी और अन्य) और 25 हजार रुपये राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश दिए गए।