Interesting Stories from Bollywood :कुछ क़िस्से बॉलीवुड में ऐसे मशहूर हैं कि वो जब भी सुनाए जाते हैं हम खुद को रोक नहीं पाते उस दौर की रौ में बह जाने से शायद इसलिए कि वो क़िस्से हमारे पसंदीदा और दिग्गज कलाकारों से जुड़े हैं तो चलिए आज उन्हीं में से कुछ क़िस्से आपको सुनाते हैं।
पहला क़िस्सा है उस शख़्सियत का जो भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और लेखक थे पर महज़ 39 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया जी हाँ ये थे गुरुदत्त जिन्होंने ‘प्यासा’ और ‘काग़ज़ के फूल’ जैसी क्लासिक फिल्में हमें दीं और वो मक़ाम हासिल किया जो इस उम्र तक कई लोगों का सपना ही रह जाता है। उनके बारे में कहते हैं कि वो बहोत जज़्बाती थे। उनकी क़लम जो कहानी बुनती थी और सोच जो छटा परदे पर उकेरती थी ,कुछ वैसे ही रंग उनकी असल ज़िंदगी में भी बिखर जाते थे। इसी सिलसिले में उनकी ज़िंदगी में आईं अभिनेत्री वहीदा रहमान जिनकी चाहत में गुरुदत्त अपनी पत्नी- गायिका गीता दत्त से दूर हो गए थे फिर ज़िंदगी तो ज़िंदगी मौत भी एक गुत्थी की तरह रही क्योंकि एक तरफ गीता दत्त गायकी से दूर हुईं तो दूसरी तरफ गुरुदत्त खुदकुशी करने में कामियाब हो गए। उनकी मौत को आत्महत्या इसलिए माना गया क्योंकि इसके पहले भी कई बार वो अपनी जान लेने की कोशिश कर चुके थे और मौत से कुछ घंटे पहले उन्होंने कहा था ,”मैं बहोत थक गया हूँ और अब रिटायर होना चाहता हूं’। जैसे मानों वो जाने की इजाज़त मांग रहे थे।
अब बात करते हैं दर्द को बहोत संजीदगी से पर्दे पर उतारने वाली मीना कुमारी की जिन्हें इसी हुनर की वजह से ‘ट्रेजेडी क्वीन ‘कहा गया पर कहते हैं दर्द से उनका नाता तबसे जुड़ गया जबसे उन्होंने पहले से शादीशुदा, गीतकार-पटकथा और संवाद लेखक व निर्माता कमाल अमरोही से घर वालों की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ निकाह किया लेकिन कुछ ही वक़्त तक मीना का साथ देने के बाद कमाल अपने बीवी बच्चों में बिज़ी हो गए और मीना जी ने शराब को अपना साथी बना लिया नशे ने उनको अपना ग़म ग़लत करके वो ज़िंदगी दी जिसमें वो उम्दा शायरी भी करने लगीं पर शायरी में भी वही दर्द ज़ुबाँ पे आया जो उनके दिल में था ये आदत उनकी ज़िंदगी में ऐसे शामिल हुई कि ऐक्टिंग में भी उन्हें कुछ ज़्यदा नहीं करना पड़ा वो जैसी थीं वैसी ही पर्दे पर भी नज़र आती थीं और लोग उनकी मदहोश कर देनी वाली आवाज़ के साथ नफासत से लबरेज़ अदा और खूबसूरत चेहरे के दीवाने हो जाते लेकिन नशा भी कब तक ज़िंदगी दे पाता ये ज़हर उन्होंने मौत के लिए ही तो चुना था इसलिए इसी बहाने से वो इस दुनिया से चली गईं।
अगला क़िस्सा है उस दिग्गज अभिनेता का है जिसने कहा -“जानी…हम तुम्हें मारेंगे और ज़रूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी और वो वक़्त भी हमारा होगा… जी हाँ ये डायलॉग अपनी दमदार आवाज़ और अंदाज़ में बोला था राज कुमार ने, जिनका असली नाम था ,कुलभूषण पंडित। बलूचिस्तान में, पैदा हुए राजकुमार पारम्परिक पारसी थियेटर की संवाद अदायगी को अपनाते थे जो उनकी ख़ास पहचान बनके उभरी। उनका क़िस्सा ये है कि फिल्मों में आने से पहले वो मुंबई के माहिम थाने में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनात थे , अच्छे से ड्यूटी कर रहे थे पर उनकी रौबीली आवाज़ की वजह से चोर डाकू ही नहीं हर कोई डर जाता था। उनका लहजा और साफ़ सुथरे सटीक उर्दू के अलफ़ाज़ सीधे दिल में उतर जाते , वो मज़ाक़ भी करते तो टॉन्ट ही लगता ये देखकर कई लोग उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह देने लगे और जब बर्दाश्त के बाहर गया तो राज कुमार ने सबकी बात मान ही ली और एक दिन पुलिस की नौकरी छोड़कर फिल्मों का हिस्सा बनने चल पड़े ये वही लोग थे जिनकी वजह से हमें राजकुमार अभिनीत -पाकीज़ा , सौदागर और तिरंगा जैसी शानदार फिल्में मिलीं।
अगला क़िस्सा है महानायक ,सुपरस्टार कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन का जो बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता हैं लेकिन, एक वक़्त वो भी आया जब उन्हें लगा कि उनका स्टारडम थोड़ा कम हो गया है और उन्हें एक सुपरहिट फिल्म की सख़्त ज़रूरत है और वो केवल अभिनेत्री श्रीदेवी के साथ ही मिल सकती है पर श्री देवी ने उनके साथ काम करने के लिए मना कर दिया था और अमिताभ बच्चन को उन्हें मानाने के लिए एक दो फूल नहीं बल्कि फूलों से भरा एक ट्रक भेजना पड़ा था। इसके बाद ही हमें अमिताभ बच्चन और श्री देवी अभिनीत फिल्म ‘खुदा गवाह’ मिली थी।
बॉलीवुड के इन दिलचस्प क़िस्सों में अभिनेता ऋषि कपूर का क़िस्सा तो बेहद इंट्रेस्टिंग है क्योंकि उनके फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक-दो नहीं, बल्कि क़रीब 20 हीरोइनों के साथ हुई थी और उन्हें तभी से चॉकलेटी हीरो के साथ बॉलीवुड का रोमांस किंग भी कहा जाने लगा था हालाँकि इंडस्ट्री में वो अपने निक नेम चिंटू से भी मशहूर थे। उनके साथ जिन 20 एक्ट्रेसेस ने डेब्यू किया था उनमें जया प्रदा, शोमा आनंद, भावना भट्ट, राधिका और रंजीता कौर जैसे मशहूर नाम शामिल हैं तो वहीं डिंपल कपाड़िया ने ऋषि कपूर के साथ ही फिल्म “बॉबी” से अपने करियर की शुरुआत की थी।
आख़िर में बात करते हैं शाहरुख खान की जो इंडस्ट्री के बेताज बादशाह हैं लेकिन आपको पता है फिल्मों में आने से पहले उन्हें एक्टिंग करना ज़रा भी नहीं पसंद था वो भी इसलिए कि वो लुक वाइस खुद को फिल्मों के लायक़ नहीं समझते थे पर उनकी माँ के लिए, तब भी वो किसी हीरो से कम नहीं थे और वो दिल से चाहती थीं कि वो हीरो बनें इसलिए उन्होंने उनका नाम शहंशाहों सा चेहरा रखने वाला यानी ‘शाहरुख़’ रखा था। शाहरुख दिल्ली के दरियागंज में एक रेस्त्रां चलाने लगे थे पर माँ के इस दुनिया से जाने के बाद शाहरुख़ को उनकी ये बात बहोत याद आई और तब उनकी बात पर अमल करते हुए शाहरुख़ ख़ान ने फिल्मों की ओर रुख़ किया और बादशाह बन ही गए।
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