Madhya Pradesh Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर सेंधमारी करना शुरू कर दिया है. आए दिन राजनितिक गलियारों पर ऐसी अफवाहें उड़ती रहती है कि कांग्रेस का फला नेता भाजपा में शामिल हो रहा है. पॉलिटिकल पंडितों को मसाला मिल जाता है फिर खबरें चलती हैं कि फलाने पार्टी के नेता अब इस पार्टी में शामिल हो रहे हैं. आम चुनाव से पहले इतनी तादाद में ये दलबदल और कुछ नहीं तो कांग्रेस का मनोबल तोड़ने को काफी है. जनता में ये संदेश पहुंचाने के लिए भी पर्याप्त है कि कांग्रेस की ज़मीन खिसकी ही नहीं, अब उसमें गहरी दरारें भी आ रही हैं. खबर तो ऐसी भी है कि जब राहुल गगांधी की न्याय यात्रा एमपी पहुंचेगी तब दाल बदली का यह सिलसिला और तेज हो जाएगा। इतना ही नहीं बीजेपी तो राहुल के एमपी आने का इंतज़ार ही कर रही है. प्लानिंग तो कुछ ऐसी है कि जिस जिस क्षेत्र में भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंचेगी उस-उस इलाके के कांग्रेस नेता को भाजपा में जोड़ लिया जाएगा।
विधानसभा चुनाव से पहले जिस महाकौशल से कांग्रेस की बड़ी नेत्री प्रियंका गांधी अपने पार्टी के चुनावी अभियान की शुरआत की थी. उसी जबलपुर के मेयर जगत बहादुर अन्नू विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद दो महीने के भीतर ही पार्टी छोड़ गए. बावजूद इसके की वो धरा से विपरीत कांग्रेस से ही जीतकर निकाय चुनाव में मेयर पद तक पहुंचे थे. इतना ही नहीं जगत बहादुर जकैसे कई कांग्रेस नेता बीजेपी का दमन थम चुके हैं गढ़ा राजघराने के मुखिया सुमेर सिंह राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस के रवैये से इतने आहत हुए की भाजपा का दमन थाम लिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई। सुमेर सिंह, दिग्विजय सिंह के करीबी माने जातें हैं. इस कड़ी में कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अजय यादव भी भाजपा में शामिल हो गए हैं. इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की जमीन पर कितना फर्क पड़ेगा ये, ये कहना मुश्किल है, लेकिन बीजेपी जनमानस में ये बिठा देगी कि कांग्रेस पार्टी अब कांग्रेसियों को ही रास नहीं आ रही है. और ये सन्देश चुनावी समय में आम जनता के बीच पहुंचाना बड़ा सन्देश होगा।
कांग्रेस नेता क्यों छोड़ रहे हैं पार्टी
हाल ही में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों करारी हार के बाद कांग्रेस बैकफुट में हैं. कांग्रेस के नेताओं को लगने लगा है कि उनका राजनितिक भविष्य अब कांग्रेस में नहीं बचा है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा किए बाद पूरे देश में जिस तरह से बीजेपी का माहौल बना कांग्रेस ही नहीं पूरी विपक्षी डरी हुई है. कांग्रेस के कई नेता राम मंदिर में कांग्रेस द्वारा अपनाए गए रुख के कारण पार्टी छोड़ रहे हैं. रुख के हवाला देते हुए पसरती छोड़ रहे हैं.
आपसी संवाद में कमी
पार्टी के अंदर काफी मतभेद है। लगातार चुनावों में मिल रही हार से नेता और कार्यकर्ता काफी हताश हो चुके हैं। सभी अपने राजनीतिक करियर के लिए दूसरा विकल्प तलाश रहे हैं। एक आरोप यह भी है राहुल गांधी कभी भी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को समय नहीं देते हैं। उनकी बातों को नहीं सुनते हैं। समय पर पार्टी में फैसला नहीं होता है। एक तरह से ये पार्टी नेतृत्व का संकट है। कांग्रेस में कोई नेता दूसरे की नहीं सुन रहा है। राहुल गांधी-सोनिया गांधी भी पार्टी नेताओं की गुटबाजी को खत्म नहीं कर पा रहे हैं। संगठन में तालमेल पूरी तरह से खत्म हो गया है।