BJP President News : लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठन में बदलाव की चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि पार्टी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। इस खबर के पीछे का कारण यह है कि भाजपा ने पिछले कई सालों में महिलाओं के समर्थन को बढ़ावा दिया है, खासतौर पर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में महिलाओं ने पार्टी का समर्थन किया है।
जेपी नड्डा के बाद कौन होगा बीजेपी अध्यक्ष?
जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो चुका था, लेकिन पार्टी ने उन्हें जून 2024 तक का कार्यकाल बढ़ाया है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में नए अध्यक्ष का नाम घोषित किया जाएगा। इस पद के लिए तीन महिला नेताओं के नाम चर्चा में हैं।
BJP अध्यक्ष की रेस में आगे निर्मला सीतारमण
भाजपा अध्यक्ष की रेस में पहला नाम है निर्मला सीतारमण है। वह वर्तमान में वित्त मंत्री हैं और इससे पहले रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं। उनकी पार्टी संगठन में मजबूत पकड़ है और उनका अनुभव बहुत बड़ा है। हाल ही में उन्होंने भाजपा मुख्यालय में जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। दक्षिण भारत से होने के कारण उन्हें पार्टी की दक्षिणी राज्यों में विस्तार की रणनीति के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है।
डी. पुरंदेश्वरी बन सकती हैं बीजेपी अध्यक्ष
बीजेपी अध्यक्ष की रेस में दूसरा नाम डी. पुरंदेश्वरी है। वह आंध्र प्रदेश की पूर्व भाजपा अध्यक्ष हैं और बहुत अनुभवी नेता हैं। उन्हें कई भाषाएं बोलने का अनुभव है और पार्टी में उनकी स्वीकार्यता भी अच्छी है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण अभियान का हिस्सा बनाया गया है, जैसे ऑपरेशन सिंदूर।
वनाथी श्रीनिवासन भी बीजेपी अध्यक्ष की रेस में
बीजेपी अध्यक्ष की रेस में तीसरा नाम वनाथी श्रीनिवासन है। वह तमिलनाडु की कोयंबटूर दक्षिण सीट से विधायक हैं और पहले भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं। 1993 से वह भाजपा से जुड़ी हैं और संगठन में कई पदों पर काम किया है। 2022 में वह केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनीं, जो तमिलनाडु से पहली महिला नेता हैं।
भाजपा अध्यक्ष चुनने में RSS करेगा मदद
संगठन का समर्थन भी इस फैसले में मदद कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इस बात का समर्थन किया है कि भाजपा को अब एक महिला नेता को शीर्ष पद पर लाना चाहिए। यह कदम 33% महिला आरक्षण विधेयक की भावना के भी अनुरूप है, जिससे आगामी समय में लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी।
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